भारी पड़ गई भारी कांग्रेस पे आंतरिक कलह । हरीश रावत के नेतृत्व में गठित कांगेंस सरकार अब हो गई है भंग । फिलहाल उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू है । हालांकि मामला नेनीताल कोर्ट में विचाराधीन है । हरीश रावत एवं विजय बहुगुना में चल रही है रस्सा-कस्सी । यह बात और है विजय बहुगुना भी कांग्रेस शासन काल में प्रदेश के मुख्य मंत्री रह चुके हैं ।
निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत पर हुआ स्ट्रिंग आपरेशन वाली सीडी का खुलासा । पार्टी के 9 विधायकों ने मौजूदा सरकार पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुये अपना समर्थन वापिस लिया । पलटवार में हरीश रावत ने सी.डी. को बेबुनियाद बताते हुए बागी विजय बहुगुना पर भा.ज.प. से 25 करोड़ रुप्ये लेकर सरकार गिराने की साजिश का अरोप लगाया । बागी विधायकों में विजय बहुगुना,सतपाल महाराज़ और हरक सिंह रावत के नाम शामिल हैं । आंतरिक बगावत से हरीश रावत बेहाल हैं । उन्हें तलाश है इंतरिम आर्डर की राष्ट्रपति शासन की समाप्ति के बाद गवरनर के भा.ज.प. को सरकार बनाये जाने के लिए बुलाये जाने संभावना पे । फिलहाल आरोपों और प्रत्यारोपों का सिलसिला जारी है और नेनीताल उच्च न्यायालय ने शक्ति परिक्षण पर 19 अप्रेल तक रोक लगा दी है ।
राज्य भर में अब सक्रिय है राजनीतिक सर्गमियां । जोड़-तोड़ का दौर है । तमाम अटकलों के बावजूद यदि कांग्रेस दूसरा मौका मिलने पर क्या हरीश रावत ही रहेंगे मुख्य मंत्री या फिर होगी दूसरे विकल्प की तलाष । भा.ज.प. की स्थिति में मुख्य मंत्री के दावेदार हैं भुवन चंद्र खंदूड़ी, भगत सिंह कोषियारी एवं अजय भट ।
सरकार कांग्रेस की बने या भा.ज.प. की । मुख्यमंत्री हरीश रावत हों या भुवन चंद्र खंदूड़ी या फिर विजय बहुगुना या फिर कोषियारी । विचारनीय है बस राजनीति का बदलता स्वरुप......