केजरीवाल की नई तलब सेंट्रल इंफरमेशन कमीशन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री सार्वजनिक करें । साथ ही अपनी भाषा में लगाई केंद्र को लताड़, अगर दम है तो चोफर के मामले में सोनिया को अपराधी साबित करे । गौर फरमाने की बात यह है कि केजरीवाल ने कुछ दिन पहले कड़े शब्दो में बाबुओं को हड़काय । कहा या तो दिल्ली सरकार के याने की हमारे साथ मिलकर काम करें या फिर ले लें रिटायरमेंट । राजनीति का यदि इतना ही शोक है तो नौकरी छोड़कर मैदान मे आयें । मुकाबला करना उन्हें आता है ।
दूसरों से जवाब-तलब करना केजरीवाल से किसी ने आज तक नहीं पूछा की उनका भारतीय राजस्व सेवा को छोड़ने का राज क्या है । पहले एन.जी.ओ. फिर राजनीति में कूदने का कारण क्या था । केजरीवाल की ही तरह आम आदमी जेहन में बहुत से सवाल हैं । जिनका खुलासा होना अभी बाकी है । अब चाहें वो स्वस्थ्य बजट हो या शिक्षा का बजट और या फिर ईवन ओड प्रणाली को विभिन्न फेजों में लागु करना हो प्रचार पर खुला खर्च । योजना का जो भी हो खुद की मुफत में पबलिसिटी ।
करोड़ों रुप्ये के खर्चे करके लागू की गई ईवन ओड ट्रासपोर्ट प्रणाली फेज-2 की उपलब्धियों का खुलासा अभी बाकी है । इस दौरान के उपलब्ध एयर प्युरिटी इंडेक्स के अनुसार प्रदूषन में कुछ खास बदलाव नहीं आया है । यदि सरसरी तौर पर अधिकांश हिस्सा प्रचार और प्रसार पर व्यय हुआ नजर आता है । खुद की पार्टी का उप मुख्य-मंत्री लीपा-पोती के लिये दो दिन अलग-अलग नंबर की कार इस्तेमाल कर सकता है जिनमें से एक नंबर नोऐडा का था । क्या फरक पड़ता है यदि बी.जे.पी. के सांसद विजय गोयल चलान भरकर नियम का उलंघन करते हैं ।
थप्पड़ खाके,खुद पर स्याही फिकवाके या फिर धरना प्रदर्शन यदि इससे भी काम ना चले तो दूसरों पर उंगली उठाके सुर्खियों में बने रहना पैशन है या फिर मकसद है असल मुददों से आम आदमी का घ्यान भटकाना ....