साध्वी प्रज्ञा को नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी से क्लीन चिट दिये जाने पे विपक्ष ने बजाई चुटकी । एन.आई.ए. अब तबदील हो गया है मोदी इंनवेस्टीगेशन एजेंसी में । मुस्लिम संगठनों ने तो दे डाली सुप्रिम कोर्ट जाने की धमकी । सहानभूति बटोरने के लिये उछाला जा रहा है हेमंत करकरे के बलिदान को । महाराट्र संगठित अपराध अधिनियम के तहत गठित स्पेषल कोर्ट ने साध्वी की जमानत की अर्जी खारिज कर दी । वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहीं थी ।
साध्वी ने भी तोड़ा अपना अनशन शिप्रा नदी में कुंभ स्नान और महा कालेश्वर मंदिर के दर्शन के साथ । साध्वी प्रज्ञा का दिक्षा के पुर्व नाम था प्रज्ञा ठाकुर वह इंदोर की रहने वाली हैं । माले गाांव बंम्ब ब्लास्ट में ए.टी.एस. दवारा दोषी करार किये जाने के बाद से जेल में सजा याफता हैं ।माले गांव मुस्लिम बहुल इलाका है । विसफोट के दौरान 6 मौत और 100 लोग घायल हुवे । ए.टी.एस. का मानना है कि बलास्ट में इस्तेमाल मोटर साईकिल साधवी प्रज्ञा की थी । और सहयोगी अभियुक्त थे ले. कर्नल श्रीकांत पुरोहित,दयावंत,स्वामी अमृतानंद देव,राकेश दवांडे और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय । फिलहाल एन.आई.ए. ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है ।
क्या साध्वी वास्तव में निर्दोष हैं और यदि वास्तव में निर्दोश है तो उन्होने एक लंबा अर्सा जो सजा के रुप में जेल में काटा वह भी उस जुर्म के लिए जो उन्होने किया ही नहीं उसका क्या ? मान प्रतिष्ठा गई सो अलग । चुटकी बजाने और दिल पे लेने से जरुरी है तथ्य परखता के साथ मामले की तह में जाके अवलोकन की । अहम गवाह गुलाटी मार जायें तो ठीकरा मोदी सरकार पे । गोघरा कांड की हाथ लगी एक महत्वपूर्ण कड़ी से होने वाली उपलब्धियों का खुलासा तो आने वाला समय ही करेगा विचारणीय है तो बस हेमंत करकरे की शहादत को भुनाना....