उत्तर और मध्य भारत पर है बाढ़ का प्रकोप । निरंतर जल-भराव और नदियों में आये उफान के चलते उत्त्तराखंड,मध्य प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश तो पहले ही बाढ़ के चपेटे में था अब रावी में आये उफान के चलते जम्मू-कशमीर के हालात भी नासाज जान पड़ते हैं । प्रभावित इलाकों में सड़क व संचार व्यवस्था चरमरा गई,कारोबार ठप और जन-जीवन है बेहाल ।
आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक की गई सूचना अनुसार विभिन्न प्रभावित इलाकों में मरने वालों की संख्या 40 पार कर गई है और करोड़ों का जानोमाल का नुकसान संभावित है । मध्य प्रदेश में 17,बिहार में 14 और उत्तर प्रदेश में अब तक 19 मौतें हो चुकी हैं ।
पूर्वी उत्तर प्रदेश मेंगंगा का जल स्तर खतरे का लाल निशान पार कर 60.31 मीटर से भी उपर है । यमुना,बेतवा,शारदा भी उफान पर हैं । इधर मध्य प्रदेश में चंबल,शिपरा और सिंधू भी नहीं हैं पीछे । यहां भी जल स्तर खतरे के निशान को पार कर गया है । इलाहाबाद और आस-पास के जिलों के नदी किनारे वाले 100 गांव जल-भराव के चपेटे में हैं ।
मध्य-प्रदेश के 20 जिले बाढ़ के चपेटे में है यहां भी गूना,रायगढ,मंडसौर और उज्जैन की हालत पतली है । फिर पहाड़ों का क्या यहां तो बारिश और जल-रिसाव के चलते लेंड स्लाइडिंग आम हैं । जब सड़के बंद तो आवाजाही और रसद का अवरोध । याने कि खाने को भी वांदे । असम,अरुणंचल, नासिक और राजस्थान के कुछ इलाकों के प्रभावित होने के समाचार हैं ।
हालांकि राष्ट्रीय आपदा पंबंधन दल स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्य में जुटा है हालात बदस्तूर हैं और आमो-खास की निगाहें केंद्र पर टिकी हैं । कभी बिहार में चलिबे न चलिबे न का नारा लगाने वाले लालू को भी बिहार के लिए मोदी से आश है ।
आपदा तो आती है और समय के साथ चली भी जाती है । केंद्र से आश भी स्वाभाविक है । पल्ला झाड़ने के बजाय राज्य सरकारों की कुछ तो जिम्मेदारी होती ही है । विचारणीय है तो बस हाल ही में हुई लगातार बारिश के दौरान चरमरा गई दिल्ली की ड्रेन व्यवस्था ......