आम आदमी तो आम अब मुख्य-मंत्री भी नहीं रहे हैं धरने प्रदर्शन के वायरल से । भारत शायद दुनिया का पहला देश होगा जहां राज्यों के मुख्य-मंत्री अपने ही राज्य में अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करते हैं । वो भी सांविधानिक पोस्ट पर रहते हुए । दिल्ली के मुख्य-मंत्री अरविंद केजरीवाल तो पहले से ही धरने-प्रदर्शन के लिये सुर्खियों में हैं अब उत्तराखंड के मुख्य-मंत्री ने भी दिया देहरादून में धरना प्रदर्शन ।
जेहन में बस एक सवाल आखिर क्या है इस धरने प्रदर्शन का राज । वन रेंक वन पेंशन के मामले से खफा होकर भूतपूर्व सैनिक राम सूबेदार राम किसन ग्रेवाल द्वारा की गई खुद-कुशी को राजनैतिक रुप देते हुए विपक्ष याने कि कांग्रेस ने उप-अध्यक्ष राहुल गांधी ने के नेतृत्व में तो आम आदमी पार्टी ने मुख्य-मंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में केंद्र का घेराव । दोनो ही पार्टी के जाने माने नेता प्रदर्शन में शामिल थे । गिरफतारियां भी हुई बाद में छोड़ दिया गया ।
उधर देहरादून में भी उत्तराखंड के मुख्य-मंत्री हरीश रावत ने भी अगुवाही की धरने की । धरने का आयोजन किया था कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने । केंद्र द्वारा वन रेंक वन पेंशन पर कुछ हद तक राहत और माकूल आशवासन के बावजूद वो कौन से हालात थे जिनके दबाव में रिटायर सुबेदार राम किशन को आत्म हत्या करने के लिये मजबूर होना पड़ा । उनका रक्षा मंत्री से अपाइनमेंट था ।
रक्षा मंत्री से मिलने के बजाय आत्म-हत्या का विकल्प समझ से परे है । इसी प्रकार का ऐसा ही हादसा जंतर मंतर में केजरीवाल द्वारा आयोजित किसान रैली में हुआ था । वहां भी एक किसान गले में रस्सी का फंदा डाले पेड़ पर खड़ा था अचानक पांव फिसला लटक गया सूली पे । वो छटपटाता रहा और रैली चलती रही । वह भी मुख्य-मंत्री केजरीवाल की मौजूदगी में।
एक बात और सुबेदार राम किसन गांव सभा के प्रधान भी थे और भूतपूर्व सैनिकों के समर्थन में घरने पर बैठे थे । उन्होने सरपंच का चुनाव कांग्रेस पार्टी की तरफ से लड़ा था । एक सरपंच द्वारा मामूली राशी के लिए आत्म-हत्या राजनीति के पेच उलझाती है । मामले को राजनीतिक तूल देने वाले नेताओं की भी लीला अजब आत्म-हत्या करने वाले पूर्व सैनिक को एक करोड़ और बार्डर शहादत पर..........