हर दिल अजीज जयाललिथा को दी गई चिन्नई में अश्रुपूर्ण विदाई । शायद ही कोई तमिलनाडू का कोई बाशिंदा हो जिसकी आँख अपनी मद्रासी अम्मा के लिये नम ना हो । जी हाँ हम बात कर रहे हैं तमिलनाडू की मुख्य-मंत्री जयाललिथा की । जो तामिलनाडू के गरीब याने कि निचले तबके के दिलों में अम्मा बनके राज किया करती थी ।
और करे भी क्यों ना देश भर में तामिलनाडू ही एैसा राज्य है जहाँ अम्मा केंटीन याने कि अम्मा भोजनालय में पाँच रुप्ये में आम आदमी को भर पेट भोजन मिलता है । इनका संचालन राज्य सरकार के नियंत्रण में है । इसके अलावा भी राज्य सरकार की अपनी कई योजनायें हैं । और आखिर में अम्मा तो थी ही ।
लोगों को प्यार बाटने वाली अम्मा की जिंदगी अब इतनी भी आसान नहीं थी । एकट्रेस जयाललिथा से मुख्य-मंत्री और मुख्य-मंत्री से अम्मा बनने का सफर कटिनाइयों और चुनौतियों से भरा था । जयाललिथा के एक्टिंग और राजनीति के कैरियर के सूत्रधार थे दक्षिण के जाने-माने नेता और अभिनेता स्वर्गीय ए.जी.रामचंद्रन । जिन्हें एम.जी.आर. के नाम से भी जाना जाता है ।
जयाललिथा एम.जी.आर. की करीबी थी । जब एम.जी.आर जिंदगी की आंखरी साँस ले रहे थे एम.जी.आर. के परिवार वालों ने उन्हें मिलने तक नहीं दिया । अंतिम विदाई मे शामिल होने गई जयाललिथा को तिरस्कृत होने के बाद बीच यात्रा से वापिस लौटना पड़ा ।
विधान सभा में सिर पर लगी चोट का मामला एक अरसे तक उस समय की मीडिया की सुर्खियों में बना रहा । वो दिन जयाललिथा की जिंदगी का टरनिंग प्वाइंट था । उसके बाद जब वो सदन में लौटी तो मुख्य-मंत्री बनकर ही । कामयाबी की यात्रा थमी भी तो अंतिम साँसों के साथ ।
आना-जाना तो कुदरत का नियम है । अंतिम विदाई में ना थमने वाला वियोग में अश्रृ सैलाब 77लोगों का आत्म-घात यह सोचने को मजबूर कर देता है कि मद्रासी अम्मा में कुछ तो था ।