नोट बंदी के बाद मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे माकूल इंतजामात के दावे और ए.टी.एम. और बैंक के बाहर लगी कतारें कुछ और ही दांस्तां बयान कर रहे हैं । लाईन में लगना और कैश खत्म होने के कारण खाली हाथ लौटना । आखिर कब तक होगा सबर का इंतेहान ।
आये दिन टी.वी. वा समाचार पत्रों में सियासत दानों और बैंक के आला अफसरों के माकूल करेंसी के दावों के बावजूद भी बैंक काउंटर के खुलते ही घंटे भर में कैश का खत्म होना समझ से परे है । अब दिल्ली के व्यवसायिक केंद्र नेहरु प्लेस को ही लीजिये । यहां लगभग हर प्रमुख निजी वा सार्वजनिक बैंक की छोटी और बड़ी शाखाये हैं और ए.टी.एम. 20 के पार है ।
यदि यहां के बैंकों और ए.टी.एम. का सरवे किया जाये तो अधिकांश शाखाओं के काउंटर में लिखा होगा नो कैश । ए.टी.एम.या तो खराब होगी या नो कैश का टेग लगा होगा । केवल 5-6 ए.टी.एम. और शाखाओं में दिन मे एक दो बार कैश नजर आयेगा लेकिन दो घंटे में सूपड़ा साफ । दिल्ली के हर कोने का यही है नजारा ।
सामान्य जन जीवन कहीं न कहीं बाधित है । कहीं रोज मररा का समान तो कहीं शादी और सगाई जैसे बड़े कार्यक्रमों की चिंता । हारी बिमारी मे कैश की तंगी से नाजुक हालात में भी बेरंग घर वापिसी । सुबह तड़के उठके पैसे के लिये लंबी लाईन । इस कतार में सामान्य नागरिक एक भी अधिकारी या औसत दर्जे का व्यवसायी नहीं । नेता तो परे हैं
लगता है पैसे की जरुरत सिर्फ आम नागरिक को है । हमारे बयुरोक्रेट,व्यवसायी और नेताओं का काम तो चल ही जाता है । ज्यादा नही तो प्र्याप्त मात्रा में करेंसी सरकुलेशन में होने के सरकार के दावे को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता । पिछले एक पखवाडे़ में दिल्ली पुलिस ने भी भारी मात्रा में निजामुददीन रेलवे स्टेशन से नई करेंसी और विभिन्न कौनों से भारी मात्रा में नई और पुरानी करेंसी बरामद की है ।
करेंसी रेल के माध्यम से मुंबई से दिल्ली लाई गई थी । यह हाल दिल्ली का ही नहीं चंडिगढ, चैन्नई, मुंबई जैसे अन्य महानगरों का है । अनियमितताओं के चलते सरकार ने कुछ बैंकों में छापे भी मारे हैं और दर्जन भर से अधिक दोषी अधिकारियों को कब्जे में भी लिया है । धड़-पकड़ अब भी जारी है ।
पर्याप्त करेंसी प्रचलन मे होते हुए भी तंगी का दौर को मध्य-नजर रखते हुए धांधली की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता । विचारणीय है तो बस वितरण प्रणाली में संभावित अनियमितता...