नोट-बंदी के अंतिम चरण में प्रवर्तन निर्देशालय के हत्थे चड़ा एक एैसा चाय-भजियावाला जिसकी बेनामी संपति का आंकलन 2000 करोड़ पार होना संभावित है । यह चाय-भजिया के धंधे का कमाल था या फिर कुछ और जिसने सूरत के किशोर भजियावाला को चंद वर्षों में बेशुमार बेनामी संपति का मालिक बना दिया ।
हाल ही मे हुए खुलासे के अनुसार इस बेनामी संपति का आंकलन 1,02,16000 रुप्ये है । अभियुक्त के बी.ओ.बी. एवं बी.ओबी. एवं एच.डी.एफ.समेत विभिन्न बेंकों में जिन्में पिपल्स कोपरेटिव बैंक भी शामिल है 30 से भी अधिक खातों में नोट बंदी के दौरान करोड़ रुप्या जमा हुआ । 700 लोगों को इस्तेमाल किया गया ।
पैसे को चेक के माध्यम से अन्य जगह ठिकाने लगा दिया गया । विभिन्न ठिकानों से मिले दस्तावेजों के अनुसार पैसा ब्याज पर चढाया जाता था जिसमें वसूली भी शामिल है । भजियावाले के घर और लाकर से एक करोड़ दो लाख रुप्ये की नई करेंसी और कई किलो के हिसाब से सोना वा मुल्यवान समान बरामद हुआ । छापों का दौर अब भी जारी है
नोट बंदी के दौरान मंदी के दौर में जब आम आदमी कटौती के दौर में जी रहा था । घंटों ए.टी. एम. की लाइन में लगने के बाद 2000 की लिमिट वो भी मिला तो सही नहीं तो अगले दिन का इंतजार । भजिवाले के पास से करोड़ों रुप्ये बरामद होना वह भी नई करेंसी बैंक की मिली भगत के बिना असंभव है ।
कारोबार में पैसे का दायें-बायें होना स्वभाविक है । विचारणीय है तो बस किशोर भजियावाले का चायवाले से करोड़ पति बनने का सफर और लचर प्रशासनिक व्यवस्था । आखिर यह बेनामी संपति है किसकी किशोर भजियावाले की या.....