सियासत के अंदर या सियासत के बाहर जरुरी है कांग्रेस के लिये आत्म-मंथन । पार्टी में कार्य-कर्ताओं में आगे बढ़ने की होड़ और टिकट के आवंटन को लेकर अच्च्छा खासा रोष है । कुछ एक के तेवर बागी हुये और उन्होने विरोधी दल का दामन थामा । क्या फरक पड़ता है कि कार्य-कर्ता नया है या पुराना । उदासीनता और मनोबल की कमी का असर पार्टी की छवि पर पड़ने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता ।
अब दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी को ही लीजिये । टिकट के आवंटन में हुई मन-मानी के चलते पार्टी के वरिष्ठ कार्य-कर्ताओं में अध्यक्ष अजय माकन के प्रति अच्च्छा खासा रोष है । टिकट ना मिलने के कारण एक बालमिक नेता ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर प्रदेश कार्यालय में जमकर कुर्सियों की टोड़-फोड़ की ।
कांग्रेस की बाबरपुर की महिला अध्यक्ष रचना सचदेवा ने तो पार्टी की कार्य-शैली से रुष्ट होकर अपने समर्थकों के साथ आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली । जिम्में कृष्णा नगर के कुछ नेताओं के नाम भी शामिल हैं । आम आदमी पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने प्रदेश कार्यालय में हो रही ज्यादतियों का खुलासा किया।
सबूत के तौर पर दो विभिन्न नेताओं की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ फोन में बात-चीत की आडियो रिकार्डिग को सुनाया गया । तुगलग रोड़ थाने में दर्ज एक शिकायत में रचना ने कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन,प्रदेश महिला शाखा अध्यक्ष शोभा ओझा और पार्टी की ही नेता नेत्ता डिसूजा पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है ।उनका कहना है कि उन्हे अज्ञात नंबर से धमकियाँ मिल रही हैं ।
ऐन चुनाव से पहले भूत-पूर्व कांग्रेस अघ्यक्ष अरविंदर सिंह लवली व भूत-पूर्व यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अमित मलिक ने भा.ज.प. ज्वाइन कर ली । लवली शीला दिक्षित के करीबी थे और तत्कालीन सरकार में मंत्री रह चुके हैं । ऐसी कौन सी परिस्थितियाँ थी जिनके चलते लवली और मलिक को कांग्रेस छोड़ बी.जे.पी. का दामन थामना पड़ा । लवली द्वारा वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कार्य-शैली के खिलाफ समय-समय पे आवाज उठाई जाती रही है ।
जहाँ कुछ सदस्यों ने रुष्ट होकर कांग्रेस छोड़ी वहीं हरियाणा में कुछ नेताओं ने जिन्में एक पूर्व चार बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री जय सिंह राणा का नाम भी शामिल है कांग्रेस ज्वाइन की है । ऐन चुनाव से पहले नवजोत सिद्धू ने पंजाब मे बी.जे.पी. छोड कांग्रेस ज्वाइन की ।
राजनीति में जोड़-तोड़ आम है विचारणीय है तो बस आजादी से पूर्व के इतिहास वाली कांग्रेस में बढती उदासीनता और बागी तेवर । आत्म-मंथन के साथ जरुरी है आत्म-प्रक्षालन । क्योंकि बहुत कठिन है डगर पनघट की....