अमेरिका में कार्यरत भारतीय आई.टी.टकेनीशियंस पर गिर सकती है गाज अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकन फस्ट पोलिसी के चलते । सुनने में आया है कि आई.टी. जगत की प्रमुख कंपनियों जिन्में इंफोसिस, महेंद्रा और कॉग्निजेंट भी शामिल हैं एच.आर. पालिसी मे बदलाव का फैसला ले लिया है ।
मीडिया की सुर्खियों एवं उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार आगामी तीन सालों में विभिन्न स्तर के दो लाख से भी अधिक आई.टी. टकनीशियंस की छटनी संभावित है । इंफोसिस, टेक महेंद्रा वा कॉग्निजेंट जैसे आई.टी. के दिग्गजों ने तो इस साल अपने टकेनीशियंस की कटौती की घोषणा कर दी है और विशेषज्ञों का मानना है कि यह कटौती अगले दो सालों तक चलेगी ।
वैसे कही न कहीं अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का असर भारतीय आई.टी. सेक्टर पर पड़ने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता । एच1 वीजा प्रोग्राम में संशोधन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता । हालांकि एच1 वीजा प्रोग्राम में संशोधन की मियाद अभी निश्चित नहीं है ।
इस वीजा प्रोग्राम के तहत टाट कंसलटेंसी सर्विसेज,विपरो और इंफोसेस जैसी कंपनियाँ भारत से कंप्यूटर इंजीनियर भेजती थी अपने अमेरिकी क्लाइंट को सर्विसेस मुहैया कराने को । ट्रंप की अमेरिकन फस्ट पोलिसी का कहीं न कहीं इन कंपनियों पर असर पड़ेगा ।जहाँ इंफोसिस ने अपने 1000 वरिष्ठ श्रेणी के टकेनीशियंस की परफारमेंस के आधार पर छटनी का फैसला किया है । वहीं आने वाले दो सालों में 1000 अमेरिकी टकेनीशियंस की भर्ती की घोषणकी है ।
जहाँ तक प्रत्यावर्तन का सवाल है ट्रंप की अमेरिका फस्ट नीति का कहीं न कहीं असर भारतीय आई.टी. सेक्टर पर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता । विचारणीय है तो बस यूरोप विशेषकर अमेरिका के व्यवसाइयों को बेक-एंड सर्विसेस मुहैया कराते देश के काल-सेंटर यानी की बी.पी.ओ. वा के.पी.ओ....