पूर्वोत्तर राज्यों पर छाया बाढ़ का प्रकोप । असम,मेघालय मणिपुर वा अरूनांचल प्रदेश के 58 जिलों में निरंतर बारिश वा बवंडर से हुए जलभराव वा लेंड-स्लाइडिंग के कारण मार्ग हुए अवरूध । चरमारा गई है प्रशासनिक व्यवस्था । बुनियादी सेवायें हुई ठप्प । जन-जीवन हुआ अस्त-व्यस्त ।
अधिकारिक तौर पर प्राप्त सूचना के अनुसार असम के 2450 गाँव बाढ़ के चपेटे में हैं । लगभग 86000 हेक्टेयर फसल युक्त जमीन निरंतर जल-भराव से प्रभावित हैं ।1410968 मवेशी वा 17.43 लोग जल-भराव में फँसे हैं । बाढ़ वा लेंड-स्लाइडिंग के कारण हई मौत का आंकड़ा 80 पार कर गया है ।
ब्रहमपुत्र नदी में पानी गोहाटी,तेजपुर,निमातीघाट,गोलपारा और धुरली टाउन में खतरे के निशान को पार कर चुका है । अन्य नदियों का भी यही हाल है । गाँव के गाँव तबह हो गये हैं । उघर अरूनांचल प्रदेश के पापुमपारा जिले के लेपटाप गाँव में लेंड-स्लाइडिंग के कारण 14 मौत हुई । बारिश और बवंडर का प्रकोप निरंतर जारी है ।
केंद्रिय गृह राज्य मंत्री किरण रिज्जू के नेतृत्व में नेशनल डाइजेस्टर रिसपोंस फोर्स बाढ़ ग्रसित क्षेत्र की गतिविधियों की समीक्षा कर रही है और राज्यस्तर की डाइजेस्टर मेनेजमेंट इकाई के साथ मिलकर राहत कार्य को अंजाम दिया जा रहा है ।
गौर फरमाने की बात यह है कि श्री किरण रिज्जू को संयुक्त राष्ट्र संघ ने आपदा नियंत्रण प्रबंध के लिये चेंपियन के खिताब से नवाजा है ।
निरंतर बारिश वा बवंडर के चलते जल-भराव वा लेंड-स्लाइडिंग तो स्वाभाविक है विचारणीय है तो इन प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली जान-माल की क्षति । जरूरत है तो बस इनसे निपटने के लिये सुलझी हई नीति के तहत तैयार रूपरेखा......