भारत के चौदहवें राष्ट्रपति राम नाथ कोविद दलित नेता के साथ प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी की नीतियों के पक्षधर हैं । हाल ही में नरेंद्र भाई द्वारा काला घन बाहर निकालने के लिये छेड़ी गई मुहिम डिमोनिटाइजेशन को उनका खूला समर्थन था । असल जीवन में वो नरेंद्र भाई को अपना रोल माडल मानते हैं ।
उदारवादी दृष्टिकोण से दलितों की मुखालफत करने वाले कोविद आर्थिक आधार पर आरक्षण के भी समर्थक हैं । हाल ही में हुए चुनावों में अपनी प्रतिद्वंिद्व मीरा कुमार को 65.4 प्रतिशत वोटों से हराकर राष्ट्रपति पद के दावेदार कोविद राजनीतिज्ञ के साथ एक अच्च्छे समाज सेवक और पेशे से वकील हैं ।
राजनीति में आने से पहले वो दिल्ली हाई कोर्ट में प्रेकटिस करते थे । उनके राजनीतिक जीवन की शुरूवात भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में 1991 में हुई । राज्य-सभा के दो बार सदस्य मनोनित होने के अलावा वो पार्टी के प्रवक्ता वा बिहार के राज्यपाल भी रहे हैं ।
कानपुर देहात के एक छोटे से गाँव परोनख के कोरी परिवार में जन्मे कोविद कानपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य वा कानून के स्नातक हैं और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष वा दलित वर्ग कानूनी सहायता ब्युरो के महामंत्री भी रह चुके हैं ।
के.आर नारायणन के बाद कोविद देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति हैं । यह बात और है कि उनकी प्रतिद्वंिद्व मीरा कुमार जाने-माने दलित नेता स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम की सपुत्री हैं और दलित सामुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं । वो कांग्रेस शासनकाल में लोक-सभा की स्पीकर रह चुकी हैं ।
फरक बस इतना कोविद भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल के उम्मीदवार थे तो मीरा कुमार कांग्रेस वा उसके सहयोगी वामपंथी दलों का समर्थन था । प्रणव मुखर्जी के रिटायरमेंट के बाद कोविद ने संभाला राष्ट्रपति पद का कार्य-भार ।
राष्ट्रनायक चाहें जिस भी समुदाय या सांप्रदाय का हो, विचारणीय है तो बस आपसी समनव्य के साथ सर्वांगीन विकास । नये राष्ट्रपति कोविद की नीतियों के परिणाम देरी से ही सही दूरगामी होंगे.....