चलती हुई ट्रेन का स्वतः ही पटरी से उतरने को एक्सीडेंट माना जाये या फिर लापरवाही से हुआ हादसा जानो-माल का नुकसान तो होता ही है । पिछले तीन सालों में 28 मेजर ट्रेन हादसे हुए हैं । हादसों में घायल 973 और मरने वाले थे 259 । राज्य सभा में किये गये एक खुलासे के अनुसार रेल दुर्घटना और स्वतः ही ट्रेन के पटरी से उतरने से होने वाले हादसों का पिछले एक दशक का सलाना ब्यौरा कुछ इस प्रकार है
स्टेडिंग कमेटी ओन रेलवे के अनुसार चलती हुई ट्रेन का स्वतः ही पटरी से उतरने का कारण रेलवे ट्रेक और ट्रेन में तकनिकी खामियाँ हैं । इसका एक कारण सुरक्षा श्रेणी में काम करने वाले ग्राउंड लेवल पर काम करने वाले कर्मचारियों की कमी भी माना जा सकता है । 114907 किलामीटर फैले इस रेलवे ट्रेक में से प्रतिवर्ष 4500 किलोमीटर ट्रेक का नवीनिकरण वांछित है ।
2015-16 का यह टारगेट 5000 किलोमीटर था जबकि असल में नवीनिकरण हुआ मात्र 2700 किलोमीटर का । इसके अलावा सुरक्षा श्रेणी में काम करने वाले ग्राउंड लेवल पर काम करने वाले कर्मचारियों 1.42 पद रिक्त हैं ।
कांग्रेस मुख्यालय में भूतपूर्व रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा हाल ही में किये गये एक खुलासे के अनुसार 2012 में श्री अनिल काकोडकर के नेतृत्व में गठित हाई लेवल सेफटी रिव्युह कमेटी ने सुरक्षा मध्य नजर 2012-17 1 लाख करोड़ के बजट की पेशकश की थी ।हाल ही में हुए अहमदाबाद में बुलट ट्रेन के फाउंडेशन का स्वागत करते हुए पार्टी के प्रवक्ता आर.पी.एन. सिंह ने रेलवे सुरक्षा के मध्य मौजूदा सरकार की भूमिका पर बल दिया ।
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के साथ रेलवे ट्रेक में सुधार देरी से ही संभावित है । विचारणीय है तो बस अहमदाबाद - मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर देश के राजनीतिक हलकों में मची खलबली और ना थमने वाला हादसों का मंजर......