पिछले एक दशक में बाल एवं महिलाओं से संबंघित अपराधों में इजाफा हुआ है । अब वो प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रानिक आये दिन कोई ना कोई मामला मीडिया की सुर्खियों में रहता है । नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्युरो द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2014 और 2015 के दौरान बच्चों से संबंधित अपराधों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है । 2014 में यह आंकड़ा 8904 था जो कि 2015 में बढ़कर 14913 हो गया ।
इसी प्रकार 2015 में महिलाओं से संबंधित अपराधों का आंकडा 327394 रहा जो कि 2014 में 337922 था । इन अपराधों में यौन उत्पीड़न, किडनेपिंग,रेप,मर्डर आदि जंघन्य अपराध शामिल हैं । विशेषज्ञों की राय है कि लगभग 95 प्रतिशत वारदातों को अंजाम देने में करीबी आदमी या किसी जानकार का हाथ होता है ।
पिछले दिनों गुड़गांव के रेआन इंटरनेशनल स्कूल के प्रद्युमन ठाकुर हत्याकांड मीडिया की सुर्खियों में बना रहा । प्रद्युमन दूसरी कक्षा का छात्र था जिसकी स्कूल परिसर में दिन-दहाड़े गला रेत कर हत्या कर दी गई । शुरूवात में मामले पर लीपा-पोती करने के लिये इलजाम बस कंडेक्टर पर आया । अंत में अभिभावको वा सामाजिक संस्त्थाओं दबाव के चलते स्ािाननीय प्रशासन सक्रिय हुआ और स्कूल के प्रशासन को प्रतिवादी बनाया गया । फिलहाल मामला हाई कोर्ट में है ।
इस साल जून में बिहार में चलती ट्रेन में 6 लोगों ने दसवी क्लास की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया और मुओल जंकशन से पहले ट्रेन से नीचे फेंक दिया गया । पीड़िता का पटना मेडिकल कालेज में इलाज चल रहा है और हालत नाजुक है । मई में आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम जिले के तजांगी गाँव में दो आदीवासी नाबालिग लड़कियों के साथ उन्हीं के गाँव के 8 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और रसूखदार लोगों ने 50000 रूप्या मुआवजे की एवज में मामला दबाने का प्रयास किया ।
जनवरी में पूने स्थित इंफोसिस के आफिस में महिला टेकी आफिस के कांफ्रेंस रूम मे कंप्युटर केबल से गला घोटकर हत्या । मामले में स्क्यिुरिटी गार्ड को गिरफतार किया गया । यह तो हैं चंद अपराधों का ब्यौरा । इसके आलावा कुछ ऐसे हादसे भी प्रकाश में आये जिने अपराधों की श्रेणी में लिया जाये या चूक से हुए हादसे ।
कांग्रेस मुख्यालय में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस मे पार्टी के प्रवक्ता श्री आर.पी.एन. सिंह द्वारा अगस्त 30,2017 को किये गये एक खुलासे के अनुसार ओक्सीजन की कमी के कारण गोरखपुर के बीआरडी हस्पताल में 200 बच्चों की मौत इसी प्रकार राजस्थान के बाँसवाड़ा के एमजी हस्पताल में 85 बच्चों की मौत और छत्तीसगढ़ के आरआईएमएस में 133 बच्चों की मौत को क्या माना जाये । हालांकि संबंधित राज्य सरकारों का दावा है कि सभी मामलों में उच्चस्तरिय जाँच और न्यायिक प्रक्रिया जारी है ।
बाल मजदूरी उनमूलन अधिनियम के बावजूद आज भी दिल्ली एनसीआर में कार्यालयों के आस-पास बच्चों को चाय की दुकान, मेकेनिक शाप्स वा बजारों में कहीं ना कहीं काम करते देखा जा सकता है । महिलाओं वा बच्चों से संबंधित अपराधों के लिये बनाये गये सख्त अधिनियमों के बावजूद हो रही बेलगाम अपराधिक गतिविधियों के बीच विचारणीय है तो बस संबंधित एनजीओ वा संगठनों की भूमिका । कहीं न कहीं जरूरी है समीक्षा के साथ सुलझी हुई रूप-रेखा......