बेटे दमाद के मुद्दे ने लिया नोट-बंदी वा जी.एस.टी. का रूख । विपक्ष याने कि कांग्रेस वा उसके सहयोगी वामपंथी दलों का मानना है कि गये साल 8 नवंबर को नोट-बंदी और इस साल जून में लागू किये गये गुडज और सर्विस टेक्स याने कि जी.एस.टी. से देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पडे़ हैं और रोजगार ठप्प हुआ है ।
हाल ही में हुई कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी के मीडिया प्रभारी एवं वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा पत्रकारों को दिये गये विशलेषण के अनुसार जल्दबाजी में लिये गये इन फेसलों से देश की अर्थव्यवस्था को 2 प्रतिशत का नुकसान और तीन करोड़ लोगों को रोजी-रोटी का नुकसान हुआ है ।
उनका मानना है कि जी.एस.टी. के डिजाइन वा आरचीटक्चर दोनों ही मेस में हैं । अलग अलग वस्तु वा सेवाओं के लिये अलहदा-अलहदा टेक्स स्लेब ने प्रक्रिया को जटिल बना डाला है । पर्याप्त जानकारी वा दिशा-निर्देश के अभाव के कारण कर लागू करने वाले, लेने वाले और देने वाले तीनों के लिये ही विषम स्थिति है ।
आगामी 8 नवंबर को देश की 18 राजनीतिक पार्टियाँ जिन्में कांग्रेस वा उसके सहयोगी वामपंथी दल भी शामिल हैं नोट-बंदी के विरोध में काले दिवस के रूप में मनायेंगे । जिसे कांग्रेस ने स्लोगन दिया है "भुगत रहा है देश" । पार्टी सभी राज्यों और जिला मुख्यालयों में दिन धरने प्रदर्शन करेगी और रात को केंडल लाइट मार्च ।
यदि सरकारी सूत्रों को देखा जाये तो अर्थव्यवस्था में सुधार आया है और भारत का दर्जा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा है । हाल ही में वल्र्ड बैक की एक रिपोर्ट ”डूइंग बिजनेस 2018“ के अनुसार एक साल के अंदर भारत का दर्जा 30 रेंक उठा है याने कि 190 देशों में भारत का स्थान 100 है और 2017-18 में यह 90 हो जायेगा ।
यह सब इजी बिजनेस मोडयुल का परिणाम है । 2020 तक भारत का लक्ष्य 30 वें दर्जे पे आना है । सरकार का मानना है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्जा अर्थ नीति वा पारखी सोंच का परिणाम है ।
विचारणीय है तो बस चुनावों के दौर में विपक्ष द्वारा उठाया गया डिमोनेटाइजेशन वा जी.एस.टी. का मुददा । जी.एस.टी. वास्तव में गब्बर सिंह टेक्स है या नहीं इसका खुलासा तो समय रहते हो ही जायेगा...