2019 में सरकार जिसकी भी बने विपक्ष याने कि कांग्रेस के नेतृत्व में हुआ राजनैतिक दलों में महा गठबंधन । मिशन एक भा.ज.पा. मुक्त भारत । याने कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में ये दल भा.ज.पा. के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
इन आठ दलों में शामिल हैं कांगे्रस ,त्रृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाजवादी पार्टी,समाजवादी पार्टी, तेलगुदेशम, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, नेशनल कांग्रेस पार्टी ,झारखंड मुक्ति मोर्चा, जनता दल सेक्युलर , राष्ट्रीय लोक दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, भारतीय काम्युनिस्ट पार्टी वा मार्कसवादी कम्युनिस्ट पार्टी ।
यू.पी.ए. अध्यक्ष सोनिया गाँधी वा कांग्रेस अघ्यक्ष राहुल गाँधी की मौजूदगी में इन दलों के नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर शपठ ली । दस मिनट के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती,अखलेश यादव,शरद यादव,सीताराम येचुरी, ममता बेनर्जी वा चंद्र बाबू नाइडू शामिल हुए ।
545 लोकसभा सीटों में से 543 सीटों पर मतदान होगा । बाकी की दो सीटें एंगलोइंडियन की हैं जिनका नामांकन राष्ट्रपति करते हैं । वर्तमान संसद की रूपरेखा पर । 543 सीटों में से 272 सीटें भा.ज.पा. की हैं । अब गौर फरमाते हैं गठबंधन में शामिल दलों की मौजूदा स्थिति पर ।
कांग्रेस की 48, त्रृणमूल कांग्रेस 34, तेलगु देशम 16 , मार्कसवादी काम्युनिस्ट पार्टी 9,समाजवादी पार्टी 7, नेशनल कांग्रेस पार्टी 6, आम आदमी पार्टी 4, जनता दल सेक्युलर 2, झारखंड मुक्ति मोचा 2, भारतीय काम्युनिस्ट पार्टी 1 , बहुजन समाजवादी पाटी 0 वा राष्ट्रीय लोक दल 0 ।
मौजूदा संसद में भा.ज.पा. की स्थिति 50.48 प्रतिशत यदि इसमें उसके सहयोगी दलों याने की एन.डी.ए. की बात की जाये तो यह सीट 282 हो जायेंगी । ।यदि देखा जाये तो भा.ज.पा. का देश की 70 प्रतिशत जनता के दिलों में राज करती है ।
हाल ही में सदन के पटल पर विपक्ष द्वारा लाये गये अविशवास प्रस्ताव के परिणाम सामने हैं । भा.ज.पा. छवि सदन में सशक्त हुई है । वैचारिक मतभेद के बावजूद स्वार्थ के लिये बने इस महा गठबंधन का 2019 में संसद में स्वरूप का खुलासा तो समय के साथ हो ही जायेगा । विचारणीय है तो बस रणनीति । छीका फूटने पर कौन रहेगा देश का प्रधान मंत्री.....