धर्म गुरू याने की समाज का प्रभावशाली व्यक्तित्व । प्रभावशाली व्यक्तित्व की आड़ में पनपती विकृत मानसिक्ता । बन गई है आज समाज के लिये चुनौती । क्या फरक पड़ता है कि धर्म-गुरू किस संप्रदाय या वर्ग विशेष से है । विचारणीय है तो बस समाज में पनपति विकृत मानसिक्ता ।
मंदिर का महंत या मसजिद का मौलाना और या फिर गिरजाघर का पादरी । एक-एक करके सबके पत्ते समाज के आगे खुलते जा रहे हैं । स्वयंभु धर्म-गुरू आशा राम के बाद राम-रहीम और अब चर्च का फादर मीडिया की सुर्खियों में है ।
हाल ही में जलंधर के एक बिशप का मामला प्रकाश में आया है । केथोलिक चर्च के इस बिशप पर एक नन के साथ यौन-शोषण का अभियोग है । बिशप का नाम फ्रेंको मुलाक्कल है । यह त्रिचूर का रहने वाला है ।
बिशप पर अभियोग है कि उसने कोटटायम के सेंट फ्रांसिस मिशन वा कानवेंट में 2014 से 2016 तक अपनी सहयोगी नन का लगातार यौन शोषण किया । दोनो ही जलंधर में एक साथ काम करते थे । पीड़िता ने चर्च से न्याय ना मिलने के कारण बिशप के खिलाफ पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई है ।
फिलहाल मामले ने तूल पकड़ा हुआ है और क्रिश्चन समाज के अग्रणी संगठन ज्वाइंट क्रिश्चन काउंसिल ने कोची के आईजीपी कार्यालय के आगे बिशप की गिारफतारी की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया । प्रदर्शन में मिशनरीज आफ जिजेस कंजरगेशन की ननस ने भी । भाग लिया । गौर फरमाने की बात यह है कि पाड़िता नन भी इसी संगठन से संबंधित है ।
महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव के साथ कहीं ना कहीं विचारणीय है धर्मिक स्थलों में आस्था की आड़ में पनपति विकृत मानसिक्ता....