दिल्ली में जहां नवरात्रों के दौरान रहा दुर्गा पूजा का जोर वहीं दशहरे के दिन बिसरक में था मायूसी का आलम । जी हां हम बात कर रहे हैं ग्रेटर नोएडा के बिसरक गांव की । यहां के लोगों का मानना है कि रावण इसी गांव का रहने वाला था और रावण का प्राचीन मंदिर है जिसमें उसने अपने हाथों से शिव लिंग की स्थापना की थी ।
मंदिर के मुख्य-द्वार पर देवी-देवताओं के साथ रावण और उसके माता-पिता की प्रतिमायें भी बनी हंै । मंदिर के प्रांगण में रावण तपस्या में लीन रावण के पिता पुलतस्य ऋषी की मूर्ती है । मंदिर में एक गुफा भी है जहाँ बैठकर रावण तपस्या में लीन होता था ।
आजकल मंदिर का जिर्नोधार चल रहा है । मंदिर के महंत का कहना है कि परिसर में यात्रियों के रुकने के लिए धर्मशाला का निर्माण हो रहा है । यहां रावण पूजनीय है । आज देश में दस जगाह ऐसी हैं जहाँ रावण को जलाया नहीं पूजा जाता है ।
पूरे देश मे जहां दशहरे के दिन रावण दहन होता है वहीं यहां रावण का पूजा जाना यह सोंचने को मजबूर कर देता है कि क्या रावण वास्तव में गलत था......