राजस्थान में अगामी 7 दिसंबर को मतदान घोषित हैं । 200 विधानसभा सीट पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 4082913 मतदाताओं के हाथ है । वर्तमान विधान सभा का कार्यकाल 20 जनवरी 2019 तक है । सरकार की दावेदारी के लिये न्यूनतम 101 सीटें जरूरी हैं । इर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस वा भारतीय जनता पार्टी कांटे की टक्कर है । आम आदमी पार्टी वा बी.एस.पी. की मौजूदगी का खामियाजा कहीं ना कहीं दोनो दल को भुगतना पड़ सकता है ।
फिलहाल राजनीतिक सर्गर्मियों का दौर है । कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्य-मंत्री अशोक गहलोत वा सचिन पाइलेट मैदान में हैं । उम्मीदवारों की दावेदारी का जोर है । उधर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से वर्तमान मुख्य-मंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया मैदान में हैं । नामंकन की अंतिम तारिख 19 नवंबर है ।
घाटकों में बटी राजस्थान के राजनीतिक समीकरण फिलाहल पेचीदा हैं । कहीं न कहीं मतदाताओं विशेषकर सरकारी मुलाजिमों में वेतन में कटौती किये जाने के कारण मौजूदा सरकार के प्रति रोष है । मतदाताआों का मानना है कि सरकार अपने किये गये वायदों की कसौटी पर खरी नहीं उतरी है । कहीं ना कहीं नेतृत्व की मनमानी के चलते कार्यकर्ताओं में रोष झलकता । पार्टी के विधायक जिन्में मंत्री भी शामिल हैं पार्टी से इस्तीफा दे कांग्रेस ज्वाइन कर ली है ।
मंत्री पद से पाँच बार इस्तीफा देने वाले पी.डबल्यु.डी. मिनिस्टर वा जयतरण विधान सभा विधायक सुरेंद्र गोयल ने भाजपा से स्तीफा दे कांग्रेस ज्वाइन कर ली है । दौसा से सांसद वा भूतपूर्व आईपीएस अधिकारी हरीश चंद्र मीणा ने भी कांग्रेस ज्वाइन कर ली है । इसका प्रभाव मीणा सामुदाय के वोटों पर पड़ने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता । पश्चिम राजस्थान में मीणा समाज का होल्ड है । हालांकि पार्टी के ही नेता किरोरी लाल मीणा ने इस संभावना से इंकार किया है ।
नागौर के विधायक हबीब-उर-रहमान ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है । उनकी भी कांग्रेस ज्वाइन करने की अटकलें लगाई जा रही हैं । फिलाहल राजनीतिक हलकों में हलचल है । तमाम अटकलों और राजनीतिक उथल-पुथल के मध्यनजर नहीं होगा असान खुद के वर्चस्व को बचाना ।
राजनीतिक उथल-पुथल के इस दौर में कैसी होगी राजनीति के चाणक्य की रण-नीति.....