आंतरिक बजट बी.जे.पी. सरकार का आम आदमी के दिल तक पहुचने का प्रयास । ऐन चुनाव से पहले मतदाताओं को रिझाने के लिये लुभावनी पेशकश । विपक्ष का मानना है कि यह मोदी सरकार का चुनावी जुमला है । आखिर ऐसी कौन सी पेशकश है प्रस्ताव है जिनके चलते विपक्ष में है बौखलाहट ।
फिलहाल राजनीति का बाजार गर्म है और प्रतिक्रियाओं का दौर है । कांग्रेस के कांग्रेस मुख्यालय से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री पी.चिदंबरम ने इस बजट को वोट एन एकाउंट की जगह एकाउंट फार वोट बताया है ।
उनका कहना है कि सरकार द्वारा पेश किये गये संशोघित अनुमान के अनुसार राजकोषिय घाटे की दर में 3.3 % से 3.4 % की बढत 2019-20 के लिये विचारणीय है । उनका मानना है कि सरकार द्वार अनुमानित 3.4 % की दर का निर्धारण राजकोषिय उत्तरदायित्व वा बजट प्रबंधन अधिनियम को ताक पर रख के किया गया है ।
इस बजट के अनुसार मध्यम आय वर्ग के करदाता को मिलेगी आयकर से राहत । अब 5.00 लाख तक की आमदनी होगी आयकर दायरे से बाहर । बजट में असंगठित क्षेत्र के मुलाजिमों को 60 साल की उमर में रिटायरमेंट के बाद 3000 रूप्ये की पेशन का प्रावधान है ।
गौ कल्याण के लिये 750 करोड़ बजट वा निम्न वा मध्यम वर्ग के किसानों को मिलेगा प्रतिवर्ष 6000 रूप्ये का अनुदान । विपक्ष का मानना है कि बजट में किये गये वायदे मात्र चुनावी जुमले हैं ।
विपक्ष का मानना है कि पेंशन का वायदा असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले दस करोड़ मजदूरों को है । इसके लिये 500 करोड़ रूप्ये का प्रावधान है । उसी प्रकार किसानों को दिया जाने वाले अनुदान की राशी वितरित ऋण 75000 करोड़ के अतिरिक्त होगी । जो कि मात्र कोरा अश्वासन है ।
दूसरी तरफ बी.जे.पी. के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह अनुसार बजट को लेकर विपक्ष हुआ है बैचेन ।बजट में दिये गये प्रवधानों के मध्यनजर कहीं ना कहीं जरूरी है पुनः अवलोकन और विपक्ष के नजरिये में बदलाव.......