इतिहास का पहला वाक्या एक मुख्यमंत्री ने की पुलिस आयुक्त की मुखालफत । सी.बी.आई के सवाल जवाबों से बचने के लिये दोनो ही जा बैठे धरने पर । जाँच करने वाली अधिकारियों के साथ हुई धक्का- मुक्की । किया राज्य पुलिस ने अधिकारियों को गिरफतार ।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं कलकत्ता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की । शारदा चिट-फंड मामले मे आयुक्त के पूछताछ के लिये गई सी.बी.आई. के वरिघ्ठ अधिकारियों की एक टीम से मिलने के बजाय आयुक्त महोदय ने राज्य के मुख्य-मंत्री ममता बेनर्जी को बुला लिया ।
मुख्य-मंत्री के आते ही दोनो ही धरने पर मेट्रो स्टेशन के सामने बैठ गये धरने पर । सी.बी.आई. अधिकारियों को कलकत्ता पुलिस जबरदस्ती थेलकर पुलिस की गाड़ी में बैठाकर ले गई हवालात । तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कलकत्ता स्थित अधिकारियों केआवास का घेराव । अधिकारियों को मध्य-रात्री लेनी पड़ी सुप्रिम कोर्ट की शरण ।
शारदा चिटफंड के मामले के तार हाई प्रोफाइल लोगों से जुड़े होने के कारण आयुक्त महोदय एक अरसे से जाँच से बचते फिर रहे हैं । दिल्ली के मुख्य-मंत्री केजरीवाल के बाद ममता बेनर्जी दूसरी मुख्य-मंत्री हैं जो पीठासीन होते हुए आयुक्त के बचाव में धरने पर बैठ गई ।
मुख्य-मंत्री पहले यूनियन लीडर रह चुकी हैं धरना प्रदर्शन उनके शुमार में शामिल है । एक पुलिस आयुक्त जिसके कंधों पर शहर की कानून व्यवस्था है, पद की मर्यादा को ताक पर रखकर जाँच से बचने के लिये धरने पर बैठने से झोल की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता ।
धरने को मोदी मुक्त भारत के लिये गठित राजनीतिक दलों के महागठबंधन के नेताओं का समर्थन मिला । समर्थकों में शायद ही कोई एैसा है जिसकी रग कहीं न कहीं दबी ना हो । लालू यादव के सपुत्र तेजस्वी यादव को अपने पिता की बेगंनाही की दुहाई दने का मौका मिला ।
फिलहाल लालू घोटाला में फसे है और उनकी स्थिति विवादस्पद है । आयुक्त महोदय से सवाल जवाब की जगह शिलांग मुकरर हुई है । शिलांग में आयुक्त महोदय से सवाल जवाब का सिलसिला जारी है ।
मौजूदा घटनाक्रम के मध्यनजर दिल यह सोचने को मजबूर हो जाता है , यदि देश की बागडोर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लोह पुरूष सरदार बल्ल्भ भाई के हाथ आती तो हालात कुछ और ही होते । जेहन में बस एक ही सवाल आखिर चूक कहाँ हुई.....