निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों को ताक में रख हर तरफ हो रही है मनमानी । कहीं कम तो कहीं ज्यादा । अब यू.पी. को ही लीजिये तीन मतदान केंद्रों में सी.वी.एम. के पास कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अलग-अलग समय पर मौजूदगी । इतना ही नहीं दबाव के चलते किसी नेता को है प्रचार की इजाजत और किसी की प्रचार-सभा पर लगा दी जाती है रोक । और हो भी क्यों ना अखिलेष यादव,अरविंद केजरीवाल और नरेन्द्र मोदी में कुछ तो फरक है ही ।
अब आप इसे मोदी मीनिया कहें या मोदी का रुमर लेकिन बोखलाहट में उठाये गया कदम कभी-कभी खुद पर ही भारी पड़ जाता है । मोदी की छवि एक दबंग नेता की है । राजनीति के में गलियारों कहीं-कही उन्हें हिटलर के रुप में भी जाना जाता है और गुजरात की मिसाल दी जाती है । मोदी के प्रधान मंत्री बनने पर उनकी छवि क्या होगी यह तो आने वाला समय ही बतायेगा । मतदान अंतिम चरण पर हैं और इंतजार है चुनाव परिणामों का ..........