आखिर क्यों हर बार प्राकृतिक आपदा का शिकार होता है यह उत्तराखंड । गये साल भयंकर बाढ के चलते प्रलय और इस बार फिर से बाढ । एक बार फिर से तबाही का एक और मंजर। फरक इतना है कि गये साल तबाही की शुरूवात केदारनाथ से हुई थी और अबकी बार चपेटे में हैं पौड़ी,पिथोड़ागढ और देहरादून के इलाके । बाढ़ और लगातार होती बारिश के चलते जनजीवन हो गया है अस्त-व्यस्त साथ ही साथ चरमरा गई है यहां की प्रशासनिक व्यवस्था ।
भीषण बारिश और लेंड स्लाइडिंग के चलते उत्तराखंड के लगभग सभी राजमार्ग ऋषीकेश-बद्रिनाथ, ऋषीकेश-यमुनोत्री एवं ऋषीकेश-गंगोत्री ठप्प हैं । बुनियादी सुविधा के आभाव में अस्त-व्यस्त है आम जनजीवन । बाढ के प्रकोप से प्रभावित हैं पौड़ी और पिठोरागढ़ । राजधानी देहरादून भी नहीं है अछूति । उपलब्ध सूचना के अनुसार अब लगभग 52 मगर वास्तव में कितने जान-माल का नुकसान हुआ है अनुमान लगाना मुश्किल है । आपदा प्रबंध विभाग एवं स्थानिय एजेंसियों के सहयोग से राहत कार्य जारी है ।
हर बार बाढ़ और स्लाइडिंग,आखिर क्यों ? चैंकियेग मत अकेले उत्तराखंड में 19 से भी अध्कि बांध हैं । रोके गये पानी से उर्जा का निर्माण होता है । बांध के निर्माण के लिए डायनामाइट एवं मोरटार के जरिये विस्फोट से पहाडो़ं को तोड़ा जाता है । जिसका प्रभाव अन्य पहाडो़ पर पड़ता है । उनकी पकड़ ढ़ीली पड़ जाती है । जरा सी बारिश हुई नहीं रिसाव के कारण शुरू हो जाती है लेंड स्लाइडिंग । फिर बाढ़ हो तो कहना ही क्या.....
उत्तर भारत के कई इलाके जिन्में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ इलाके भी बाढ के चपेटे में हैं । भविष्य में जोखिम को कम करने के लिए,ऐसे प्रोजेक्टों को क्लियरेंस देते समय सही सोंच सही नजरिये की ।