बीफ की राजनीति ने लिया एक नया मोड़ । 95 फीसदी हिंदू हैं बीफ के कारोबार में लिप्त यह अलफाज हैं दिल्ली हाई कोर्ट के भूतपूर्व जज राजेंद्र सच्चर के वह मथुरा के आर.सी.डिग्री कालेज में आयोजित सेमिनार वल्र्ड सिक्सुरिटी एंड रेडिकल इस्लाम में संबोधित कर रहे थे ।
पहले एक्स सर्विसमेन फिर साहित्यकार और वैज्ञानिक । अल्पसंख्यकों पर हुए हमले से छिड़ा विवाद अब तक कई मोड़ ले चुका है । कांग्रेस और वाम पंथी दल ने कर दी है अब मिलकर मोदी सरकार के घेराव की तैयारी ।
रहा सवाल पशुवध का तो वो आदिकाल से चला आ रहा है और उसका सेवन भी होता है । दिखावा नहीं जरुरी है दूसरों की आस्था और भावनाओं का संमान । बरसों से सोई हमारे बुद्धिजीवी जिनमें साहित्यकार और वैज्ञानिक भी शामिल हैं की चेतना जाग जाती है और शुरु होता है अवार्ड लौटाने का सिलसिला जिसमें राष्ट्रपति द्वारा दिये गये संमान भी शामिल हैं । कहीं अल्प संख्यकों के लिए तो कहीं बीफ के लिए । हैरानी की बात यह कि इनमें से कुछ साहित्यकारों द्वारा लिखी पुस्तकें जला दी जाती हैं सार्वजनिक रुप से सिख संप्रदाय द्वारा जला दी जाती हैं जंतर मंतर पे । और अब अपनी मांग को लेकर एक्स सर्विस मैन का मेडलों का जलाया जाना ।
याने कि देश में अब शुरु हो गई है ब्लेक मेलिंग की राजनीति । अपने ही लोगों की मिली भगत में हो रही राजनैतिक हलचल और दी जा रही बेबाक बयानबाजी का आखिर क्या होने वाला है अंजाम...