अफगानिस्तान यात्रा के दौरान बदला मोदी ने अपना रूख लाहौर की और । मौका था पाकिस्तान के वजीरे आलम नवाज शरीफ के जन्म दिन का । नहीं चुके मोदी छेड़ दिये नवाज शरीफ के तार और बन गये राजनीतिक संबंध आत्मिक । ढाई घंटे की मुलाकात के दौरान आला अफसरों की मौजूदगी में चला बातचीत का सिलसिला ।
जहां संपूर्ण विश्व ने मोदी की पहल को सराहा वहीं देश के राजनैतिक हलकों में मची है अफरातफरी । कुल मिलाकर मिली जुली प्रतिक्रियायें । सियासती हल्कों में जहां इसे अच्छी शुरूवात माना जा रहा है वहीं विपक्ष विशेषकर कांग्रेस के तेवर तीखे दिखाई जान पड़ते हैं उन्हें यह दौरा अमेरिका के दबाव में बचकानी हरकत और मकसद बिजनेस लाबी को फायदा पहुंचाना । अपने सहयोगियों के साथ सड़क पर उतर आई है कांग्रेस कई जगह मोदी के पुतले तक जलाये गये ।
पाकिस्तान में भी हैं मिली जुली प्रतिक्रियायें यहां भी सियासी हल्कों से हटके कहीं कहीं तेवर तीखे जान पड़ते हैं । विशेषकर आतंकी संगठन व उनके पनाहगारों में हड़कंप जान पड़ता है । इन सबके बावजूद आम आदमी के मन है आशा की किरण सरहद के दोनो और ।
मोदी के उदारवादी दृष्टीकोण का क्या होगा अंजाम यह तो आने वाला समय ही बतायेगा । फिलहाल दौर है राजनीतिक उथल पुथल का और जरूरी है संयम के साथ सुलझा हुआ सुधारवादी दृष्टीकोण ....