जे.एन.यू. में हुए महिसासुर कांड में घेरे जाने पे विपक्ष ने लिया सदन में रोहित वेमुला का सहारा । यानि फिर से शुरु हो गई दलित राजनीति । सुना है दिल्ली के मुख्य-मंत्री अरविंद केजरीवाल के आश्वासन पर रोहित वेमुला की फैमली ने डाल दिया है दिल्ली में डेरा । रोहित वेमुला के भाई को अब मिलेगी नौकरी वो भी कम से कम 50000 रुपये की । पिछले दिनों दिल्ली की संसद में कनहिया कुमार की पेरवी कांग्रेस और उसके सहयोगी वाम पंथी दलों को भारी पड़ गई जब मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी ने मोड़ दिया रुख जे.एन.यू में हुए महिसासुर समारोह में एक पोस्टर को पढ कर सुनाया और लगाई जमकर फटकार । बौखलाहट में विपक्ष ने लिया रोहित वेमुला का सहारा ।
दुर्गा पुजा के दिन को काला दिवस यानि की महिसासुर जयंती के रुप में मनाये जाने और उस दौरान लगे पोस्टरों मे मां दुर्गा के लिये आपतिजनक भाषा का इस्तेमाल के कारण जे.एन.यू. पहले से ही सुर्खियों में था । रही सही कसर कनहिया कुमार एंड कंपनी ने संसद के मुख्य आरोपी अफजल गुरु की दूसरी बरसी मे राष्ट्र विरोधी नारे बाजी लगाके ।
हेदराबाद युनिवर्सिटी का छात्र रोहित वेमुला मुंबई बम कांड के मुख्य आरोपी याकुब मेमन की फाुसी के दौरान शौक सभा के दौरान हुड़दंग मचाने और विरोध किये जाने पर मार पीट के कारण सुर्खियों मे था । विश्वविदयालय से रेसटीगेट होने और हालात से समझौता नहीं हो पाने के कारण असने खुदकुशी कर ली । राजनीति के गलियारे में छात्र की आत्म हत्या के मामले को दलित का नाम देकर जमकर भुनाया गया और सिलसिला अब भी जारी है ।
जे.एन.यू. के सुर्खियों में आने से अवार्डी साहित्यकार चमन लाल ने अपना अवार्ड ही लौटा डाला । पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अफजल गुरु की फासी को ततकालीन सरकार का गलत निर्णय माना हालांकि चिदंबरम ने फांसी रिकमंड की थी और वह ततकालीन सरकार में मंत्री थे । जे.एन.यु. के समर्थन में राजनीतिज्ञों के अलावा देश की चंद युनिवर्सिटी मैदान में उतरी । अमेरिका में तैनात भारत के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने तो आरोपित छात्रों को करेक्टर सर्टीफिकेट ही दे डाला ।
पिछले दिनों लखनउ के बी.एन.सी.ई.टी. के छात्र लवकेश मिश्रा ने भी हालात से समझौता न कर पाने के कारण की आत्महत्या और छोड़ा एच.ओ.डी. को दोषी करार देते हुये चार पेज का सुसाइड नोट । मामला अल्पसंख्यक या दलित से नहीं जुड़ा होने से ठंडे बस्ते में चला गया । न वहां कोई राहुल गांधी हैं न सीताराम येंचुरी या फिर अरविंद केजरीवाल जी ।अपनी स्टेट का मामला होने के बावजूद भी मायावती तेवर ठंडे हैॅं और न किसी चमन लाल जैसे महान साहित्यकार ने अपना अवार्ड लौटाया । होे भी क्यों टी.आर.पी. की बिसात पर टिकी है वोटों की राजनीति । कहीं 50 लाख के मुआवजे की मांग साथ में मिलता है सरकारी नौकरी का आश्वासन और कहीं हाथ लगता है बाबाजी का ठुल्लू । वाह रे दलित कार्ड तेरे खेल हैं अजब....