आखिर बन ही गये हमारे कनहिया बाबू हीरो । 6 महीने की आंतरिक जमानत के बाद जे.एन.यू. में हुआ जमके स्वागत और शुरु हुआ राजनीतिक सरगर्मियों का दौर । जेल से 10,000 रुपये के मुचलके और शर्तों पे रिहाई के बावजूद कनहिया के अलफाज भले ही बदल गये हों मगर अंदाज पुराने हैं । राष्ट्र विरोधी नारे और कश्मीर की आजादी की जंग अब तब्दील हो गई है भूख से आजादी में रोजगार के लिए ।याने कि अब कनहिया का संघर्ष है मौजूदा सिस्टम से । वो मौजुदा सिस्टम में बदलाव के पक्षधर हैं ।
अपने तीखे तेवर के चलते अच्च्छी टी.आर.पी. मिली है कुछ गिने चुने चेनेलों पे । वामपंथी दल के तो वो अब आइकन बन गये हैं और सुनने में आया है कि उनका इस्तेमाल आगामी विधान सभा चुनावों में प्रचार के लिये होगा । इसमें दो राय नहीं कि आने वाले समय में वो बहुबली नेता के रुप में उभर कर आयें । अब ज्यादा नही तो राज्य सभा के सदस्य तो बन ही जायेंगे ।
जहां तक रोटी और रोजगार का सवाल है वो लोकतंत्र में आम आदमी का बुनियादी हक है और कनहिया का मानना है कि मौजूदा सरकार इन सब में असफल रही है । उनकी लडाई मौजूदा सिस्टम से है यानि की सरकार से सीधी टक्कर । हैरानी की बात यह है कि जिस उनकी विचारधारा का एक लंबे समय तक पश्चिम बंगाल पर आधिपत्य रहा है और कुछ हिस्से भी प्रभावित होने के बावजूद हालात बेहाल हैं । लाल झंडे के बेनर तले आये दिन तालाबंदी के चलते कामकाज ठप्प रहता है । उदयोगपति इन इलाकों में इंडस्ट्री लगाने में कतराते हैं ।
आजादी के बाद कम से कम 50 साल कांग्रेस ने राज किया है । बजाय जवाब तलब के सहयोगी बन कर फोड़ दिया जाता है खुद की नाकामयाबियों का ठीकरा दुसरों पे । जम के हो रहा है इस्तेमाल कनहिया जैसे अनगिनत छात्रों का राजनीतिक स्वार्थ के लिये । यदि साम्यवाद और कांग्रेस एक विचारधारा है तो संघ से गुरेज क्यों । क्यो जोड़ दिया जाता है सांप्रदायिक्ता से । राष्ट्रवाद के पक्षधर इस संगठन के सदस्य हर सांप्रदाय के हैं और बजाय किसी भगवान विशेष के मातृ भूमी की पुजा की जाती है । राजनीतिक स्वार्थ के लिये मातृ भूमी की पुजा से भी गुरेज कहां तक सही है ।
कनहिया की आजादी का वायरल अब हावी है दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल पर । कनहिया को आजादी चाहिये भुख से और मौजुदा सिस्टम से और केजरी वाल को शिकायत है केंद्र से उप राज्यपाल जंग से राजनैतिक अहंकार से । आजादी का वायरल तो किसी को भी हो सकता है । विचारनीय है संवैधानिक प्रतिबधता के बावजूद एक मुख्य मंत्री की सार्वजनिक टिप्पणी.....