दिल्ली को 'झीलों का शहर' बनाने के विजन को साकार करने के लिए हो रहा है युद्ध स्तर पर काम । पहले चरण में सरकार की ओर से 250 जलाशयों और 23 झीलों को जीवंत किया जा रहा है I दिल्ली के जल मंत्री व दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने किया बुराड़ी में पुनर्जीवित की जा रही दो झीलों का मुआयना एवं की अब तक की कार्यवाही की समीक्षा । पहली झील बुराड़ी के सत्य विहार में स्थित है जिसका क्षेत्रफल 13371 वर्ग मीटर है। इसे लोग ठोस कचरा डंपिंग साइट के रूप में इस्तेमाल करने लगे थे और आसपास की निकासी का गंदा पानी झील में गिर रहा था । दूसरी बुराड़ी के ही लक्ष्मी विहार स्थित एक्सटेंशन कॉलोनी के पास विकसित की जा रही I जो करीब 6500 वर्ग मीटर में फैली है। यहां से पहले आसपास के मौहल्ले का सीवेज गुजरता था।
कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड के माध्यम से दोनों ही झीलों को पुनर्जीवन देने की प्रक्रिया जारी है I कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड के माध्यम से रॉ सीवेज, एक स्क्रीन चैंबर से होते हुए सैटलिंग टैंक में जाता है। फिर कंक्रीट की लेयर्स पर लगे पौंधों से गुजरते और फिल्टर होते हुए आगे बढ़ता है। इसके बाद ट्रीटेड वाटर टैंकर में एकत्रित होता है और इस पानी को आखिर में झील में डाला जाता है। सीवेज वाटर का ट्रीटमेंट फ्लोटिंग राफ्टर्स तकनीक के माध्यम से किया जा रहा है। इन फ्लोटिंग राफ्टर पर ऐसे पौधे लगे हैं, जो पानी से प्रदूषकों को प्रकृतिक तरीके से साफ करने में मदद करते हैं। यानि इनकी जड़ें फिल्टर की तरह काम करती हैं। ये पौधे न सिर्फ प्रदूषण को सोखने की क्षमता रखते हैं बल्कि जल व वायु प्रदूषण भी कम करते हैं। ये बड़े पेड़-पौधे की तरह हवा में घुले प्रदूषक तत्वों को सोखते हैं। इसके अलावा फ्लोटिंग वेटलैंड से पानी में अच्छे माइक्रोब भी घुल जाते हैं। इन झीलों में गंदगी का अंबार लगा रहता था, जिससे लोगों में महामारी फैलने का डर था।
दिल्ली के जल मंत्री के अनुसार विभिन्न इलाकों में पुनर्जीवित की जा रही ये झीलें न केवल दिल्ली के लोगों के लिए एक मनोरंजन स्थल के रूप में विकसित होगी, बल्कि ये दिल्ली के गिरते भूजल स्तर में सुधार लाने में भी मददगार साबित होगी। ये झीलें कार्बन भंडारण के लिए एक सिंक के रूप में भी काम करेगी। पौधों, पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों के लिए आशियाना बनेगी। झीलों से आसपास की आबोहवा भी साफ होगी। इससे महानगर की बढ़ती आबादी के लिए पानी की डिमांड और सप्लाई के अंतर को कम करने के अलावा गर्मी के चरम के दौरान तापमान को कम करने में भी मदद मिलेगी।