कुरान की आयातें पढ़ सको तो थीक वरना दुनिया से अलविदा । वह भी रमजान के महीने में रमजान का महीना पाक माना जाता है । । रमजान के पाक महीने में जिसमें रोजा रखने वालों के लिए थूक घूटना तक वर्जित है । एक टाइम का खाना वो भी रोजा खुलने पे । बस खुदा की इबादत । यह कहानी नहीं हकीकत है ।
बांगला देश के ढ़ाका में एक रेस्तोरा । उसमें बैठे कुछ युवा जिसमें सब विदेशी छात्र जो अपने बंगला देशी मित्र के निमंत्रण पर सेलिब्रेट कर रहे थे । कुछ आतंकी प्रवेश करते हैं और युवाओं को कुरान की आयातें पढ़ने के लिये कहते हैं । उन्में से सिर्फ एक युवा जो बंगला देशी मूल का है को कुरान पढ़नी आती है को जाने के लिये कहा जाता है और बाकी को गोलियों से छलनी कर दिया जाता है । यह बात और है वह युवा अपने दोस्तों को छोड़कर जाने से इंकार कर देता है ।
यह वाक्या ढ़ाका की होली आरतिशन बेकरी का है । मृतकों में एक युवती भारतीय मूल की भी है गुड़गांव की 20 वर्षीय तारिशी जैन । त्रिशी को मुखाग्नि दी जा चुकी है लेकिन परिवार के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे । तारिशी यू.एस. मे पढ़ती थी और दो दिन के अवकाश पर घर आई थी । उसके पिता का ढ़ाका मे कपडे़ का कारोबार हैं और वो पिछले बीस सालों से ढ़ाका मे रह रहे थे । उसके दो दोस्त अबिंटा कबीर और फराज हुसेन भी आतंकी हमले में मारे गये ।
हालांकि अधिकारिक तौर पर बंगला देश ने भी घटना को संजीदा बताते हुए संवेदना प्रकट की हैं । खामोश हैं तो बस यहा बैठे सहिष्णुता के पुजारी । आतेक के दौर में सुर्खियों में है जाकिर नायक । मुबंई से एम.बी.बी.एस. पास जाकिर नायक डोंगरी में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन संस्थापक है और तीन वेबसाइट चलाता है । मकसद आधुनिक वेषभूषा में अपने उत्तेजक भाषणों के माध्यम से इस्लाम का सहारा लेकर अलगावाद को हवा देना । फेसबुक में इस्तामिक फाउंडेशन के चाहने वालों की संख्या 8186226 है । इस घटना में जाकिर हे अनुयाइयों का हाथ माना जा रहा है ।
चुनौती बन गया है आज जम्मू-कशमीर में पनप रहा अलगाववाद । आतंकी हमलों से बांगला देश और अमेरिका भी नहीं हैं अछूते । फ्रांस भी अब है आतंक के चपेटे में । पडोसी मुल्क जिसे सूत्रधार माना जा रहा है खुद ही बारुद के ढेर पर है । जरूरी है तो बस मजहब की आड़़ में हो रही फिरकापरस्ती पर नकेल....