कोलकता से मात्र 28 किलोमीटर की दूरी पर एक गाँव पे एक सामुदाय विशेष के आक्रोश का शिकार होता है । बजाय कार्यवाही करने के स्थाननीय प्रशासन मामले को दबाने का प्रयास करता है । बलवाइयों ने गाँव के बीच स्थित मंदिर तो मंदिर आस-पास के घरों को भी नहीं बख्शा ।
जी हां हम बात कर रहे हैं हावड़ा के दूलागढ गाँव की । ईद-उल-जुहा याने कि प्रोफिट मोहम्मद के जन्म-दिवस पर जलूस के दौरान कहासुनी होने पे एक समुदाय विशेष के लोगों ने बलवा कर दिया । यह बलवा दो दिन तक चला । बलवाइयों ने देसी बम का इस्तेमाल किया । अधिकारिक सूत्रों के अनुसार 25 लोग घायल हुये । जमकर लूट-पाट हुई तोड़-फोड़ और आगजनी में बहुत से घर, दुकानें और मोटर साइकिल खाक हुई । बलवाइयों ने बस्ती के बीच के मंदिर तक को नहीं बख्शा ।
रेपिड एक्शन फोर्स और लोकल पुलिस बल की मदद से फिलइाल स्थिति कंट्रोल मे है । हलाके के पुलिस अधिक्षक सव्यसांची रमन मिश्रा का तबादला हो गया है और नये अधिक्षक सुमित कुमार ने कार्य-भार संभाला है । 50 लोगों को गिरफत में लिया गया है । पूछ-ताछ अब भी जारी है ।
जहाँ बी.जे.पी की स्थाननीय इकाई ने मामले को तूल देते हुए वेस्ट बंगाल की मौजूदा सरकार को घेरा है । वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगी वाम-पंथी दलों की खामोशी खलती है । गौर फरमाने की बात यह है कि उत्तर प्रदेश के दादरी जिले के बिसौदा में हुये बलवे को लेकर केजरीवाल के 18 टवीट,बरखा दत्त के 28 टवीट,सागरिका 57 टवीट और राजदीप के 58 टवीट । कांग्रेस और वामपंथी दल भी हरकत में रहे । दूलागढ के मामले में सियासत मौन है । माहौल बिलकुल ठंडा । टवीट का तो सवाल ही नहीं उठता ।
कहां खो जाते हैं यह बुद्धिजीवी की जब आतंकवाद के चलते नरसंहार होता है पुरी की पुरी बोगी पेट्रोल छिड़क के जला दी जाती है । बंबई और दिल्ली में हुए सीरियल बंब बलस्ट को तो शायद ही भुला पायें । इतना कुछ हो जाता है और मानव अधिकार ऐक्टिविस्ट के कानों में जूं तक नहीं रेंगती । पर जब बात कसाब और याकूब को फांसी देने की होती है । झंडा लेकर खड़ा हो जाता हैं यह ऐक्टिविस्ट यह बुद्धिजीवी । तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर घुमा दिया जाता है ।
सत्ता पक्ष की खामोशी और विपक्ष में मचा हाहाकार सोचने को मजबुर कर देता है देश सही दिशा की और जा रहा है......