योगी के शासन में आने के बाद ही चंद अरसे में यू.पी. की परिस्थितियों ने बदला रुख । यू.पी. में यका-यक बढ़ गया क्राइम रेट । अब वो साहरनपुर हो या बुलंदशहर या फिर राजधानी लखनउ शायद ही कोई इलाका हो जो बढ़ते अपराधिक स्तर के चलते मीडिया की सुर्खियों में ना बना हो ।
महंत योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के शुरुवाती दौर में सियासत द्वारा मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में जारी किये गये फरमान और उठा-पटक को देखकर कर ज्यादतर को लगा था कि अब यू.पी. के हालात में बदलाव संभावित है । कहीं न कहीं लगेगी तंमंचे में डिस्को पर रोक ।
अखिलेश सरकार के कार्यकाल में बुचड़खानों के लाइसेंस के नवीनीकरण और अवैध बूचड़खानों से फैलते पाल्युशन पर नियंत्रण के फैसले के मध्य नजर अवैध बूचड़खानों पर रोक और कालेज बजारों में चल रही छिछोरा-पंति पर रोक के लिये एंटी रोमियो मुहिम योगी सरकार के शुरुवाती फैसले थे ।
एक अरसे तक मामला मीडिया की सुर्खियों मे बना रहा और कहीं न कहीं योगी सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा और समय के साथ मामला खुद ही ठंडा हो गया । कहीं न कहीं यू.पी. के लोगों का योगी सरकार और उसकी नीतियों पर भरोसा था । सक्रिय अपराधिक गतिविधियों के चलते एक बार फिर यू.पी. सुर्खियों मे है ।
मीडिया वा अन्य सूत्रों के अनुसार पिछले तीन महींनों का लेखा-जोखा कुछ इस प्रकार है -
अपराध
जनवरी,2017
मार्च,2017
अप्रेल,2017
डकैती
16
23
33
लूट
249
421
442
हत्या
286
396
399
बलात्कार
244
378
393
मीडिया में मची हलचल और उपलब्ध आंकड़ों के मध्यनजर क्या अब यू.पी. वास्तव में बन गया है क्राइम स्टेट । विचारणीय है तो बस संगठित अपराधों में हो रहा इजाफा ।
जेहन में बस एक सवाल कहीं यह राजनीति से प्रेरित तो नहीं ....