अहमदाबाद के शांति बिजनेस स्कूल का मामला प्रकाश में आने से सी.वी.रमन विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा लगी दाव पे । शांति बिजनेस स्कूल पर अभियोग बी.बी.ए. पाठयक्रम के नाम पे फर्जीवाड़ा । यह बिजनेस स्कूल सी.वी.रमन विश्वविद्यालय से एफिलेटेड है । कहीं ना कहीं संदेह की सुई विश्वविद्यालय पे अटकी ।
यू.जी.सी. के मानदंडों को ताक में रखकर डिसटेंस लर्निंग सेंटर के माध्यम से जहाँ हुआ करोड़ों का झोल वहीं छात्रों का भविष्य अधर में । विश्वविद्यालय नियमों को ताक पर रखके देश के विभिन्न कोनों में फर्जी संस्थानों के सहयोग से डिसटेंस लर्निंग सेंटरों की स्थापना की ।
मामले की संवेदनशीलता के मध्य-नजर गुजरात के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव श्री पंकज जोशी ने यू.जी.सी. के मानडंदों का सरेआम उलंघन वा अनियमितताओं का हवाला देते हुए सी.वी. रमन विश्वविद्यालय के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु झारखंड सरकार के प्रधान सचिव उच्च शिक्षा को एक पत्र लिखा है ।
सी.वी. रमन विश्वविद्यालय की स्थापना 3 नवंबर 2006 में विलासपुर (झारखंड) में हुई थी । शुरूवाती दौर से यह विश्वविद्यालय अनियमितताओं और फर्जीवाड़े के चलते सुर्खियों में बना रहा है । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पत्र क्रमांक 1317-1321 यूजीसी / डीईबी/सीएचएच/सी वी रमन2013 दिनांक 27 अगस्त 2013-14,2014-15 के लिये 31 पाठयक्रमों की मान्यता दी गई थी ।
16 पाठयक्रमों को मान्यता नहीं दी गई थी । जिसमें एमएससी केमिस्ट्री भी शामिल है । इसके बावजूद भी एमएससी केमिस्ट्री का पाठयक्रम जारी रहा । यूजीसी के नियमों के अनुसार मान्यता के 5 साल बाद ही डिसटेंस लर्निंग पाठरूक्रम जारी किये जा सकते हैं । जबकी शुरूवाती दौर से ही डिसटेंस लर्निंग पाठरूक्रम जारी रहे । उस दौरान की जारी मार्क-शीट वा डिग्री अमान्य हैं । यानि कि फर्जी हैं ।
फिलहाल तहकीकाात जारी है । तहकीकात के अंजामों का खुलासा तो समय के साथ हो ही जायेगा विचारणीय है तो देश में बढ़ती फर्जी विश्वविद्यालयों की खरपतवार के मघ्य-नजर युवाओं का भविष्य.....