राजस्थान,मध्य-प्रदेश और छत्तिसगढ़ के विधान-सभा चुनाव में एक अरसे बाद फिर मिला सकता है मौका कांग्रेस को सरकार बनाने का । राजस्थान में कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ा वसंुधरा राजे सिंधिया का चेहरा प्रोजेक्ट करने का ।
मतदाताओं में मौजूदा सियासतदानों के प्रति दबी नाराजगी आखिर झलक ही गई । जहाँ कांग्रेस ने इस जीत को लोकतंत्र की जीत माना है वहीं भारतीय जनता पार्टी ने इसे जनादेश का स्वागत किया है ।
परिणामों का रूझान कुछ इस प्रकार है । राजस्थान में कांग्रेस को 99, भारतीय जनता पार्टी 75 वा अन्य 25 । छत्तिसगढ़ में कांग्रेस 95, भारतीय जनता पार्टी 16 वा अन्य 9 । मध्य-प्रदेश में कांग्रेस 114, भारतीय जनता पार्टी 108 ,बीएसपी 2 वा अन्य 6 ।
फिलहाल तीनों ही राज्यों की राजधानियों में राजनैतिक दलों का जमवाड़ा लगा है । दो-चार इघर या उधर की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता । सियासत में उठा-पटक आम है ।
यदि परिणामों पर गौर फरमाया जाये तो बहुमत किसी एक दल को हासिल नहीं हुआ है ।बाहरी समर्थन की से सरकार बनाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता ।
मौजूदा राजनीति के इस बदलते परिवेश में 2019 में होने वाले लोक-सभा चुनाव में क्या होगी राजनीति के चाणक्य की नीति ....