आज गुजरात की गिनती आर्थिक एवं औध्योगिक विकास के क्षेत्र में अग्रनीय है और इसे अग्रिम पंगती में लाने का श्रेय जाता है यहाँ के मुख्य-मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को। वैकल्पिक उर्जा के क्षेत्र में गुजरात का हिस्सा 8 फी सदी है। देश में 80 प्रतिशत सोडा ऐष एवं 66 प्रतिशत नमक की पूर्ति भी गुजरात से ही होती है। देष की 35 प्रतिशत केमिकल इंडस्ट्री भी गुजरात में हैं। अब चाहें एस.ई.जेड. हो या फिर लगानी हो कार की फेक्टरी और या हो घरेलू उत्पाद तो गुजरात। कपड़े और डायमंड के लिये तो व्यापारियों की आवाजावी तो पूरे साल लगी ही रहती है। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर एवं नियमों में लचिलापन उद्योगपतियों को ले चलता है गुजरात की ओर।
चलिये अब गौर फरमाते हैं सामाजिक पहलु पर। यहाँ भी गुजरात बहुत से राज्यों से आगे है। आज गुजरात में लगभग 80 प्रतिशत लोग साक्षर हैं । गौर फरमाने की बात यह है कि यह दर 1991 में 61.2 प्रतिशत और 2001 में 69.1 प्रतिशत थी। जहाँ तक महिलाओं का सवाल है आज गुलरात की 75 प्रतिशत से भी अधिक महिलायें लिखना पढ़ना जानती हैं। कला-संस्कृति में भी गुजरात पीछे नहीं है। कछ का रण और द्वारका देशी व विदशी पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र रहा है।यह परिनाम है एक सही सोच,सही दिशा और सही आंकलन की।
जहाँ तक मोदी का सवाल है तो उन्होंने यह मुकाम एक लंबे संघर्ष का परिनाम है। वाधनगर में जन्में नरेन्द्र मोदी ने अपनी जिन्दगी की शुरुवात पिता का हाथ बटाने के लिए चाय की टपरी से हुई थी । उनके राजनैतिक सफर की शुरूवात अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रभारी के रुप में हुई थी। गुजरात के मुख्य-मंत्री बनने से पूर्व वो बी.जे.पी. के महा सचिव भी रह चुके हैं। 2006 में किये गये इंडिया टुडे के एक राष्ट्रीय सर्वे ने मोदी को बेस्ट चीफ मिनिस्टर घोषित किया है। यह मोदी की सुलझी सोंच उन्हें अन्य नेताओं से अलग पहचान देती है।सांप्रदायिक होने के ठप्पे लगने के बावजूद राजनैतिक तबके में उनकी अपनी एक अलग पहचान है और वो 2001 से लेकर आगामी चुनाव तक गुजरात मुख्य-मंत्री हैं।
अब देखना यह है कि मौजूदा राजनैतिक सर्गमियों और समीकरण के चलते क्या बी.जे.पी. को बहुमत मिलेगा और मोदी कितने सफल प्रधान मंत्री साबित होंगे.....क्या देश को वही दिशा मिलेगी जो कभी गुजरात को मिली थी....यह तो आने वाला समय ही बतायेगा ।