क्यों तुले हैं स्वरूपानंद आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिष्ठा खंडित करने पर । विवादपस्द बयानबाजी के चलते सुर्खियों में बने रहने वाले स्वामी स्वरूपानंद ने 6 महीने पूर्व मोदी पर सवाल पूछने वाले एक विडियो जर्नलिस्ट के तमाचा जड़ दिया और बाद में कट लिए यह कहके, संतों से राजनीतिक सवाल नहीं किये जाते ।
सांई बाबा पर दिये गये बयान के कारण कम बबेला था जो धर्म संसद के माध्यम से मंदिरों से सांई बाबा की मूर्ति हटाने का फरमान जारी कर डाला । यह बात और है कि ऐसे फरमान को मानेगा कौन ? धर्म गुरू तो धर्म गुरू समर्थकों ने तो सरे आम चुनौती ही दे डाली । आये दिन टी.वी. चेनलों पर दिखाई जा रही तीखी और विवादस्पद प्रतिक्रियायें ।
जहां तक सांई बाबा के हिन्दू या मुसलमान होने का सवाल है , तो यह आस्था का मामला है और इसे भक्तों पे छोड़ देना चाहिए । दी जा रही विवादस्पद बयानबाजी के चलते कुछ हासिल हो न हो धर्म का विभाजन जरूर हो जायेगा । क्या वास्तव में धर्म गुरू अपने ही धर्म का विभाजन चाहते हैं या फिर वो राजनीति से प्रेरित हैं और आमो-खास का ध्यान मौजूदा मसलों से भटकाना चाहते हैं ।
आखिर इस बंदर बांट से क्या हासिल होगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा.........