केजरीवाल डटे हैं मैदान में और निगाहें फिर वही मुख्य मंत्री की कुर्सी । कांग्रेस के बेजान खेमे में भी नजर आ रही है हलचल । भा.ज.प. भी कूद पडी है मैदान में और लडे़गी दिल्ली के आगामी विधान सभा चुनाव प्रधान मंत्री मोदी की सरपरस्ती में वो भी मोदी महामंत्र के साथ "सबका साथ सबका विकास" ।
दिल्ली में दुबारा मध्यावधि चुनाव होने जा रहे हैं वह भी कम समय के अंतराल में और करण धार हैं यही अरविंद केजरीवाल । वह पहले मुख्य मंत्री हैं जिन्होने अपनी नकामयाबी पर परदा डालने के लिए ठीकरा दूसरों पे फोड़ा और खुद की ही सरकार गिरा दी । इसमें दो राय नहीं कि केजरीवाल अच्च्छे सी.एम. न सही अच्च्छे शोमेन तो बन ही सकते हैं । अब वो चाहें दिल्ली डायलाग हो या फिर हो काले धन का मामला़ सुर्खियों मे बने रहने तो केजरीवाल का पैशन है ।
चलो प्रथम प्रधान मंत्री पंडित नेहरू की 125 वीं वर्ष-गांथ ही सही कांग्रेस के जिर्नोधार की मुहिम के नाम पर हुई दूसरों पर जमकर छींटा- कशीं । कार्यक्रम का सबको न्यौता मिला मगर भारत के वर्तमान पंधान मंत्री को भूल गये । होता है होता है इतने बडे़ समारोह में चूक तो हो ही जाती है ।
दिल्ली का फैसला दिल्ली वालों ही तय करेंगे स्थिर सरकार या फिर दुबारह से मध्यावधि चुनाव । फिलहाल मतदान की तैयारी जोरों पे है आवश्यक्ता है सुलझी सोंच और सही नजरिये की ।