जे एण्ड के और झारखंड में जारी है बी.जे.पी. की पुरजोर कोशिश । याने कि आगामी विधान सभा चुनाव में चूक की गुंजाइश नहीं । कहीं प्रधान मंत्री मोदी तो कहीं अमित शाह और कहीं नजर आते हैं राजनाथ सिंह । कहीं सभा तो कहीं पदयात्रा । कांग्रेस की पकड़ अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही है । उधर लालू , नितीश और ओमर सोंच में पड़ गये हैं कैसी हो व्युह रचना । विधान सभा चुनाव का दौर है ।
जम्मू-कश्मीर में 87 और झारखंड में 81 विधान सभा सीटों पर मतदान होने हैं । दोनो ही राज्यों के राजनीतिक समीकरण कुछ अलहदा हैं । कहीं है अलगाववाद तो कहीं है नकसलवाद और होता है कभी-कभी तमंचे पे डिसको । निषपक्ष चुनाव तो एक सपना है ।
मौजूदा हालातों में मोदी की लहर सबका साथ सबका विकास कहां तक टिक पायेगी यह तो आने वाला समय ही बतायेगा । साथ ही सत्य को भी नहीं नकारा जा सकता कि कीचड़ में ही कमल खिलता है । परिस्थितियां चाहें कितनी भी विषम हो सुर्योदय तो होगा ही । फिलहाल मौका है चुनाव का और आवश्यक्ता है एक सुलझी सोंच और समझदारी की ।