दिल्ली: केंद्र द्वारा जातिगत जनगणना को जनगणना में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए लोकसभा के नेता विपक्ष राहुल गाँधी ने बताया कि वह और उनकी पार्टी पहले दिन से ही इसकी माँग कर रहे थे । इस मुद्दे को विपक्ष द्वारा समय समय पर उठाया जाता रहा है एवं इस बाबत प्रधानमंत्री को खत भी प्रेषित किया गया । लेकिन प्रधानमंत्री सामाजिक न्याय की इस नीति को लागू करने से बचते रहे और विपक्ष पर समाज को बांटने का झूठा आरोप लगाते रहे।
उनका मानना है कि जातिगत जनगणना के अभाव में, सार्थक सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन अधूरा है, इसीलिए ये सभी वर्गों के लिए ज़रूरी है। जनगणना के लिए इस साल के बजट में भी केवल ₹575 करोड़ का आवंटन है, इसलिए ये सवाल मुनासिब है कि सरकार इसको कैसे और कब पूरा करेगी। उनकी पार्टी ने माँग की है कि मोदी सरकार जल्द से जल्द, बजट का प्रावधान कर, जनगणना और जातिगत जनगणना का काम पूरी पारदर्शिता के साथ चालू करे। हिस्सेदारी न्याय के बिना सबकी प्रगति अधूरी है।
अकबर रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से रूबरू होकर बोले राहुल गाँधी देश में आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने की मांग भी दोहराई। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस पार्टी ने संसद में कहा था कि वे जाति जनगणना कराकर रहेंगे और 50 प्रतिशत की सीमा को भी हटाएंगे। साथ ही की जाति जनगणना कराने में अपनी पार्टी के सहयोग की पेशकश । उन्होंने तेलंगाना को जाति जनगणना के लिए एक मॉडल बताते हुए कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार पहले ही जाति जनगणना करा चुकी है।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना मॉडल को पूरे देश में जाति जनगणना के लिए ब्लूप्रिंट के रूप में अपनाया जा सकता है। हालांकि बिहार में भी जाति जनगणना की गई थी, लेकिन दोनों जनगणनाओं में बहुत अंतर था। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में जाति जनगणना के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्न हितधारकों से सलाह करके तैयार किए गए थे, और यह एक बहुत विस्तृत प्रक्रिया थी।जाति जनगणना देश में विकास के नए प्रतिमान की ओर पहला कदम होगी।तेलंगाना सरकार ने पहले ही आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने और राज्य में संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने जैसे कदम उठाए गए हैं।
जाति जनगणना से यह पता चलेगा कि पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों की देश में कितनी भागीदारी है। यह पहला कदम है, लेकिन हमें और आगे जाना है। हमें पता लगाना है कि देश की संस्थाओं और सत्ता संरचना में इन लोगों की कितनी भागीदारी है। निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के लिए अनुच्छेद 15(5) को लागू करने की भी मांग की। उन्होंने सरकार से जाति जनगणना के लिए धन आवंटित करने और इस संबंध में अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करने की मांग की।