दिल्ली: कांग्रेसी नेताओं द्वारा हो रही बयानबाजी को सत्ता के लिए सामाजिक न्याय का स्वांग बताते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लिया गया जातिगत जनगणना का निर्णय सामाजिक न्याय के प्रति एनडीए की कटिबद्धता का प्रमाण है । फैसला यकायक नहीं लिया बल्कि पिछले 11 वर्षों से समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की नीति का तार्किक एवं सिद्धांतिक विस्तार है । कांग्रेस ने काका कलेकर कमेटी की पिछड़े वर्ग से संबंधित रिपोर्ट को बरसों तक दबाये रखा । 1977 में जानता पार्टी सरकार ने मंडल कमीशन का गठन किया ।
उन्होंने बताया की पहली बार भाजपा शासन काल में ओबीसी आयोग को संविधानिक दर्जा मिला । बड़ी संख्या में वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व मिला अब चाहें केंद्र हो या भाजपा शासित राज्य सरकारें मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद या फिर विधायक । यह सब सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबधता का प्रमाण है । जिसकी अगुवाही स्वयं प्रधानमंत्री कर रहे हैं । आजादी के बाद से अबतक की जनगणनाओं में जातिगत आँकड़े नहीं जुटाए गए । 2021 में जनगणना प्रस्तावित थी जो कोविड महामारी के करण स्थगित हो गई । अब सरकार ने सैद्धांतिक निर्णय लिया है कि जनगणना में जातिगत गणना भी शामिल होगी ।
1931 में पहली बार जातिगत जनगणना हुई थी । 1941 में ब्रिटिश हकूमत ने इसे नहीं होने दिया । स्वतंत्रता के बाद 1951 में पहली बार जनगणना होनी थी । तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जातिगत जनगणना के विरोधी थे । उन्होंने राज्य सरकारों को इस बाबत खत भी लिखे । उनका मानना था इससे गुणवत्ता में असर पड़ेगा ।