दिल्ली: म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के 12000 अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई किए जाने का प्रस्ताव-फरवरी मार्च के हाउस में पास होने के बावजूद भी नहीं हो पाए हैं स्थाई । हालांकि तत्कालीन आम आदमी पार्टी के कार्यकाल में इनको वेतन देने के लिए 800 करोड़ रुपए के बजट का भी प्रावधान कर दिया गया था। म्युनिसिपल कारपोरेशन के नेता विपक्ष ने आरोप लगाया है कि बीजेपी शासित एमसीडी जानबूझ कर इन कर्मचारियों को पक्का नहीं कर रही है, क्योंकि दलालों की बीजेपी नेताओं और अफसरों से सेटिंग है। ये चाहते हैं कि कर्मचारी मजबूर होकर दलालों के पास जाएं और पक्का होने के लिए लाखों रुपए दें।
एमसीडी के कई जोनों में 1998 में नियुक्त सफाई कर्मचारी अभी तक पक्के नहीं हो पाए, उनको काम करते हुए 27 वर्ष हो गए। जब कर्मचारी को पक्का करने की फाइल जाती है, तो अपनी उपस्थिति दिखाने को कहते हैं। ये कर्मचारी दिल्ली की जनता के लिए रोज सड़कें साफ करते हैं। फिर भी ये लोग उनसे हाजिरी मांग रहे हैं। कर्मचारी अपनी अटेंडेंस रखेगा या नियोक्ता यानी एमसीडी कर्मचारी का अटेंडेंस का रिकॉर्ड अपने पास रखेगी। अगर ये पक्का नहीं होंगे तो रिटायरमेंट के बाद इनको कोई लाभ नहीं मिलेगा। अभी 60 कर्मचारी रिटायर हुए हैं। उनको रिटायरमेंट लाभ, कैशलेस मेडिकल योजना किसी का लाभ नहीं मिला।
नेता विपक्ष के एमअनुसार 2021-22 में 82 कर्मचारियों को पक्का किया गया, जबकि 2004 में पक्का होना था। इन 84 कर्मचारियों का कहना है कि उनके बाद पक्के हुए 94 कर्मचारियों को 2004 से पक्का माना जा रहा है तो उन्हें भी 2004 से पक्का माना जाए। डम्स विभाग ने 25 कर्मचारी लिया और उन्हें कस्तूरबा गांधी अस्पताल में भेज दिया। अब ये कर्मचारी पक्का करने की मांग कर रहे हैं। हेल्थ विभाग इन्हें डम्स भेज रहे हैं, जबकि डम्स वाले उनहें हेल्थ विभाग में भेज रहे हैं। इन कर्मचारियों को समझ ही नहीं आ रहा है कि उन्हें जाना कहां है।सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि अगर किसी कर्मचारी की एक साल में 240 दिन की हाजिरी है, तो उसे पक्का किया जा सकता है। बीजेपी की एमसीडी सुप्रीम कोर्ट की इस गाइडलाइन को भी नहीं मानती है। एमसीडी किस नियम से चलती है और भाजपा इसे किस तरह चलाना चाहती है? 15 साल भाजपा शासन में एमसीडी अंधकार में गई और अब फिर से बीजेपी इसे अंधकार में ले जा रही है।