राजस्थान के करोली में हुई एक पुजारी की जलाकर निर्मम हत्या को लेकर जहाँ पूरे देश में सनसनी है वहीं देश का एक राजनीतिक तबके में छाई है अजीब सी खमोशी । यह वही राजनीतिक तबका है जिसके बेनर तले हाथरस में इंसाफ के लिये रोजाना धरना-प्रदर्शन एवं चक्का जाम होता है ।आखिर इस खामोशी का राज क्या है । हाथरस में रोज दिखाई देने वाले कांग्रेस के नेता राहुल एवं प्रियंका गाँधी वाडरा क्यों नहीं दिखे करोली में । ना ही लाल टोपी लगाकर समाजवादी पार्टी के किसी कार्यकत्र्ता ने घेराव कर प्रशासन पर दबाव बनाया और ना ही आम आदमी पार्टी के संजय सिंह दिखे ।
शायद जरूरत ही नहीं समझी क्योंकि ना तो यह मामला दलित से संबंधित है और ना ही सांप्रदायिक विशेष से संबंधित । यह तो जमीन के विवाद को लेकर पुजारी को जिंदा जलाने का मामला था । जातिगत और सांप्रदायिक ऐंगल से राजनीति चमकती भी तो भला कैसे । पीड़ित परिवार के साथ कोई दिखे तो दिल्ली से बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा जिन्होंने अपने बूते पर 25 लाख रूप्ये एकत्रित कर पीड़ित परिवार को दिये और गाँव वाले। । राजस्थान की सियासत से जुड़ी एक शख्सियत का कहना था कि यह मामला हाथरस से अलग है ।
यदि देखा जाये तो राजस्थान में विपक्ष एवं देश की सबसे बड़ी पार्टी की भूमिका चंद नेताओं की बयानबाजी के अलावा कुछ खास नहीं रही । इस मामले में दो आरोपियों को गिरफतार किया गया है एवं तहकीकात जारी है । राज्य सरकार ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रूप्ये की राहत राशि एवं नौकरी दिये जाने का ऐलान किया है । इन सबके बीच विचारणीय है तो बस जातिगत एवं सांप्रदाय विशेष के नाम पर चमकती राजनीति.....