नई दिल्ली 17, Dec 2025

लेख

1 - धर्मेंद्र हुए पंचतत्व में विलीन

2 - बिहार की जानता ने फिर एक बार साबित कर दिया कि हथेली में सरसों नहीं उगाया जा सकता

3 - जेट सिक्योरिटी के साथ विसर्जन के लिए निकला लाल बाग का राजा

4 - खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे

5 - एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिये योग

6 - ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा

7 - देश के लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए बाबा साहिब का अमूल्य योगदान

8 - दिल्ली सरकार के 100,000करोड़ से क्षेत्र में उन्नति की संभावनाओं को मिलेगी मजबूती

9 - दशक के बाद बिखरा झाड़ू 27 साल बाद खिला कमल फिर एक बार

10 - स्वर्णिम भारत,विरासत और इतिहास पर आधारित इस बार का गणतंत्र दिवस समारोह

11 - महाराष्ट्र में फिर एक बार लहराया बीजेपी का परचम

12 - तमाम कवायदों के बावजूद बीजेपी तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाने को अग्रसर

13 - श्रॉफ बिल्डिंग के सामने कुछ इस अंदाज से हुआ लाल बाग के राजा का स्वागत

14 - प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सदस्यता ग्रहण करने के साथ ही शुरू हुआ बीजेपी का सदस्यता अभियान

15 - देश के सीमांत इलाकों में तैनात सैनिकों में भी दिखा 78 वें स्वतंत्रता दिवस का जज्बा

16 - २०२४-२५ के बजट को लेकर सियासत विपक्ष आमने सामने

17 - एक बार फिर तीसरी पारी खेलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी

18 - केजरिवाल के जमानत पर रिहा होने पर शुरु हुई नई कवायदें

19 - मतदान की दर धीमी आखिर माजरा क्या

20 - क्यूं चलाना चाहते हैं केजरीवाल जेल से सरकार

21 - 2004-14 के मुकाबले 2014-23 में वामपंथी उग्रवाद-संबंधित हिंसा में 52 प्रतिशत और मृतकों की संख्या में 69 % कमी

22 - कर्तव्य पथ दिखी शौर्य की झलक

23 - फ़ाइनली राम लल्ला अपने आशियाने में हो गये हैं विराजमान

24 - राजस्थान का ऊँट किस छोर करवट लेगा

25 - एक बार फिर गणपति मय हुई माया नगरी मुंबई

26 - पत्रकारिता की आड़ में फर्जीवाड़े के खिलाफ एनयूजे(आई) छेड़ेगी राष्ट्रव्यापी मुहीम

27 - भ्रष्टाचार, तुस्टिकरण एवं परिवारवाद विकास के दुश्मन

28 - एक बार फिर शुरू हुई पश्चिम बंगाल में रक्त रंजित राजनीति

29 - नहीं होगा बीजेपी के लिऐ आसान कर्नाटक में कांग्रेस के चक्रव्यूह को भेद पाना

30 - रद्द करने के बाद भी नहीं खामोश कर पायेंगे मेरी जुबान

31 - उत्तर-पूर्वी राज्यों के अल्पसंख्यकों ने एक बार फिर बीजेपी पर जताया भरोसा

32 - 7 लाख तक की आमदनी टैक्स फ्री

33 - गुजरात में फिर एक बार लहराया बीजेपी का परचम

34 - बीजेपी आप में काँटे की टक्कर

35 - सीमित व्यवस्था के बावजूद धूम-धाम से हो रही है छट माइय्या की पूजा

36 - जहाँ आज भी पुजा जाता है रावण

37 - एक बार फिर माया नगरी हुई गणपतिमय

38 - एक बार फिर लहराया तिरंगा लाल किले की प्राचीर पर

39 - बलवाइयों एवं जिहादियों के प्रति पनपता सहनभूतिक रुख

40 - आजादी के अमृत महोत्सव की कड़ी के रूप में मनाया जा रहा है 8 वाँ विश्व योग दिवस

41 - अपने दिग्गज नेताओं को नहीं संभाल पाई कांग्रेस पार्टी

42 - ज्ञान व्यापी मस्जिद के वजु घर में शिवलिंग मिलने से विवाद गहराया

43 - आखिर क्यूँ मंजूर है इन्हे फिर से वही बंदिशें.....

44 - पाँच में से चार राज्यों में लहराया कमल का परचम

45 - पेट्रोलियम, फर्टिलाइजर एवं खाद्य सामाग्री पर मिलने वाली राहत में लगभग 27 फीसदी की कटौती

46 - जे&के पुलिस के सहायक उप निरीक्षक बाबूराम शर्मा मरणोपरांत अशोक चक्र से संमानित

47 - आखिर कौन होंगे सत्ता के इस महाभोज के सिकंदर

48 - ठेके आन फिटनेस सेंटर ऑफ छा गए केजरीवाल जी तुस्सी

49 - मुख्य सुरक्षा अधिकारी हुए पंचतत्वों विलीन

50 - दिल्ली में यमुना का पानी का बीओडी लेवेल 50 के पार

इंटर-स्कूल एलुमनी गोल्फ टूर्नामेंट में ला मार्टिनियर, लखनऊ का शानदार प्रदर्शन

स्पॉटलाइट द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित इंटर-स्कूल एलुमनी गोल्फ टूर्नामेंट में ला मार्टिनियर, लखनऊ ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खिताब अपने नाम किया। यह बहुप्रतीक्षित टूर्नामेंट 12 दिसंबर 2025 को जेपी ग्रीन्स गोल्फ कोर्स, ग्रेटर नोएडा में आयोजित किया गया, जिसमें देश के प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूलों के पूर्व छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए।
इस टूर्नामेंट में नौ प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों—शेरवुड कॉलेज, नैनीताल; मेयो कॉलेज, अजमेर; द लॉरेंस स्कूल, सनावर; मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स, सोनीपत; द सिंधिया स्कूल, ग्वालियर; बिशप कॉटन स्कूल, शिमला; सेंट जोसेफ्स स्कूल, नैनीताल; ला मार्टिनियर, लखनऊ तथा वेल्हम बॉयज़ स्कूल, देहरादून—के एलुमनी ने भाग लिया। कुल 108 गोल्फरों की भागीदारी के साथ यह आयोजन एनसीआर के सबसे बड़े और जीवंत एलुमनी खेल आयोजनों में शामिल रहा।
कड़े मुकाबले के बाद ला मार्टिनियर, लखनऊ ने ओवरऑल टीम चैंपियनशिप अपने नाम की, जबकि द सिंधिया स्कूल, ग्वालियर उपविजेता रहा। मेयो कॉलेज, अजमेर ने तीसरा स्थान हासिल किया और शेरवुड कॉलेज, नैनीताल चौथे स्थान पर रहा।
व्यक्तिगत श्रेणियों में ला मार्टिनियर, लखनऊ के भरत थापर ने ओवरऑल ग्रॉस खिताब जीता, जबकि मानव प्रकाश ने नेट विनर का पुरस्कार अपने नाम किया। इन उपलब्धियों ने टूर्नामेंट में ला मार्टिनियर की मजबूत दावेदारी को और भी सुदृढ़ किया।
प्रतिभागियों ने टूर्नामेंट के बेहतरीन आयोजन की भरपूर सराहना की। आयोजनकर्ता राजीव वर्मा (स्पॉटलाइट) तथा ध्रुवपाल सिंह (जेपी) की टीम को उत्कृष्ट कोर्स मैनेजमेंट, शानदार आतिथ्य और समग्र व्यवस्था के लिए विशेष रूप से सराहा गया। आयोजन का समापन सजीव संगीत, मनोरंजन, उम्दा रात्रिभोज और प्रीमियम पेय के साथ हुआ, जिसने खेल, उत्सव और एलुमनी सौहार्द का अनूठा संगम प्रस्तुत किया।

 

डिजिटल अरेस्ट के नाम पर की गई ठगी का आंकलन 50 करोड़

 

दिल्ली: दक्षिण पूर्वी दिल्ली के अंतर्गत शाहीन बाग पुलिस स्टेशन द्वारा गठित टीम ने अन्य राज्यों की पुलिस के सहयोग से 7 राज्यों में लोकल पुलिस की सहयोग  से  दबिश कर 10 अभियुक्तों गिरफ्तार कर एक ऐसे गिरोह का भांडा फोड़ा जो वीडियो कॉल के माध्यम से आपराधिक मामलों में लिप्त होने का झाँसा देकर दबाव जबरन वसूली करता था । इनके खिलाफ नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल में 61 मामले दर्ज हैं एवं इनके द्वारा की गई जबरन वसूली का आंकलन 50 करोड़ के लगभग है ।  

गिरफ्तार 10 में  से 6 अभियुक्त इन आपराधिक गतिविधियों में डायरेक्टली इन्वॉल्व थे एवं 4 के खाते मनी ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किये गए। इन 6 अभियुक्तों के नाम थे धर्मेंद्र चौहान, सोमवीर सैनी, मोहम्मद अतिशमूल हक, संतोष कुमार कंडाई, मोहम्मद बुगारी और मोहम्मद शाहिद । मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी केरल, दिल्ली एवं मुंबई से हुई एवं इनके कब्जे से 10 मोबाइल सिम, 2 डेबिट कार्ड, 1 बेलिनो कार एवं डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए । इन्हें शाहीन बाग निवासी तनवीर अहमद की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया उनका शिकायत थी कि  कुछ अज्ञात लोगों ने व्हाट्स ऐप पर ख़ुद को पुलिस अधिकारी प्रोजेक्ट करके उनके बैंक अकाउंट आपराधिक गतिविधियों के लिए झूठा दबाव बनाकर 99.8 हजार रुपये ऐंठ लिए ।

अभियुक्त फिलहाल हिरासत में हैं एवं मामले पर तहक़ीक़ात जारी है । 

सांसों को बचाने की बजाय प्रदूषण का तुलनात्मक आंकलन करके अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते

 

दिल्ली: राजधानी जहां दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। एक तरफ दिल्ली के 40 एक्यूआई स्टेशनों में से 39 पर एक्यूआई 401 से अधिक रेड जोन में रहा और प्रदूषण नॉन स्टाप बढ़ रहा हैलेकिन दिल्ली में भाजपा की सरकार दिल्ली की सांसों को बचाने की बजाय प्रदूषण का तुलनात्मक आंकलन करके कह रही है कि 2024 की तुलना में अब तक कम प्रदूषित रहा 2025। भाजपा सरकार को लोगों के स्वास्थ्य की जगह अपने रिपोर्ट कार्ड की चिंता है,जबकि कल यानी के 14 दिसंबर साल का सबसे अधिक एक्यूआई दर्ज हुआ है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि  दुनिया भर में हवा की गुणवत्ता का आंकलन करने वाली वेबसाईटों पर दिल्ली का औसत एक्यूआई 615 रहा। जबकि कई इलाकां में एक्यूआई 600 से 1000 के बीच दर्ज किया गया। अंतराष्ट्रीय आंकलन अनुसार दीप विहार स्टेशन वन का एक्यूआई 985, मनसा राम पार्क में 840, किराड़ी एक्सटेंशन में 838, मुखर्जी नगर में 772, आनन्द पर्वत में 643 एक्यूआई दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली सरकार के हवा गुणवत्ता आंकलन स्टेशनों की बात करें तब भी दिल्ली का औसत एक्यूआई बेहद खतरनाक स्तर 461 पर है जबकि वजीराबाद में 500 एक्यूआईमुंडकारोहिणीअशोक विहार में 499 एक्यूआईविवेक विहार में 497, आनन्द विहार में 492, नेहरु विहार और दिलशाद गार्डन में 491 एक्यूआई भाजपा सरकार प्रदूषण नियंत्रण की नाकामियों को उजागर करते है।

राजधानी के गंभीर प्रदूषण स्तर के कारण जहां खुले में सांस लेना मुश्किल हो गया हैआंखों में जलनगले में खराशसांस फूलनेफेंफड़ों से संबधित अस्थमाखांसीटीबी और फेंफड़ों में कैंसरहृदयघात का खतरालीवर की परेशानीसर दर्दतनावस्कीन एलर्जीपेट की आंतों सूजन और मानसिकता दवाब की शिकायते तक दर्ज होने  का दावा अस्पतालां में डाक्टर और प्रदूषण विशेषज्ञ तक कर रहे है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोगों से झूठे वादे करके सत्ता में आने के बाद अब संकट के समय अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। सरकार दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी हथियारों का इस्तेमाल कर चुकी है और हर दिन नई घोषणा करके सिर्फ दिल्ली वालों को प्रदूषण से बचाने की जगह उन्हें भ्रमित करने का काम कर रही है।

नितिन नवीन बने भाजपा के नये राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष

दिल्ली: नितिन नबीन सिन्हा बने भाजपा के  नये  राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष । यह नियुक्ति पार्टी की संसदीय समिति द्वारा  सर्व सम्मति से की गई है । कायस्थ समुदाय से नितिन नबीन वर्तमान में बिहार सरकार में सड़क निर्माण मंत्री  हैं  एवं बांकीपुर विधान सभा क्षेत्र से 4 बार विधायक चुनकर आए हैं । उपलब्ध जानकारी के अनुसार उन्होंने 2020 में हुए विधान सभा चुनावों में 84000 वोटों से जीत हासिल की । हाल ही में  हुए विधान सभा चुनावों में वह  अभिनेता शत्रुघ्न  सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को भरी वोटों से हराकर  विधायक बने ।  

वह बीजेवाईएम के राष्ट्रीय महा सचिव भी रहे हैं । वह भाजपा के दिग्गज नेता नवीन किशोर सिन्हा के बेटे हैं एवं राजनीतिज्ञ होने के साथ अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं । वह जगत प्रकाश नड्डा की जगह  भाजपा के शीर्षस्थ प्रभारी का कार्यभार संभालेंगे ।

शिलांग के सिखों के लिए न्याय दिलाने हेतु ज़रूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे


दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने घोषणा की है कि शिलांग के सिखों की लड़ाई में दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी पूरी मजबूती से उनके साथ खड़ी है और मेघालय हाई कोर्ट में चल रहे मामले 
शिलांग के सिखों के लिए न्याय दिलाने हेतु ज़रूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे: दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी यदि न्याय नहीं मिला तो वह सुप्रीम कोर्ट तक भी जाएगी।

गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार, शिलांग में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस पर आयोजित विशाल समागम को संबोधित करते हुए कमेटी के जनरल सेक्रेटरी सरदार जगदीप सिंह काहलों ने, अपने और कमेटी अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका की ओर से कहा कि उन्हें यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि शिलांग में सिखी का प्रचार हो रहा है और हमारे युवाओं ने खंडे बाटे का पाहुल लेकर दस्तारें सजा ली हैं।
 
उन्होंने कहा कि आज न केवल हमारे देश से, बल्कि देश-विदेश से भी सिख समुदाय के सदस्य शिलांग के सिख समुदाय के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि हम शिलांग के सिख समुदाय के मामले की पैरवी जहां अदालतों में कर रहे हैं, वहीं सरकारों के समक्ष भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम मेघालय हाई कोर्ट में केस लड़ रहे हैं और आवश्यकता पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच करेंगे।
 
उन्होंने कहा कि देश और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जिस तरह सिखी का प्रचार हो रहा है, उसे देखकर उन्हें बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले सिख समुदाय के सदस्यों को यहीं अपने-अपने व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और यहीं टिके रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के इस हिस्से में नगर कीर्तन का आयोजन होना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसकी जितनी भी सराहना की जाए, कम है।

जेन जी को मिला इंडियन सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म ‘शोले’ को देखने का गोल्डन चांस

 

'शोले' भारतीय सिनेमा की आइकॉनिक फिल्मों में शामिल । फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी और कमाई के नए आयाम हासिल किये हैं । 1975 में बनी 'शोले' फिल्‍म ने एकबार फिर बड़े पर्दे पर धमाकेदार वापसी की है । इस बार  'शोले- द फाइनल कट' के नाम से री-रिलीज हुई इस फिल्‍म में  बहुत कुछ ऐसा है, जो पिछली शोले में नहीं था। खासकर फिल्म के ऐसे कई  सींस जिन्हें 1975 में इमरजेंसी के कारण सेंसर बोर्ड ने फिल्म से हटवाया या  बदलवा दिया था इस बार फिल्म की री-रिलीज में बड़े पर्दे पर बहुत कुछ बदला हुआ होगा ।
मेरी नजर में इस फिल्म को एक बाद फिर देखने की एक बड़ी वजह इसका टेक्‍न‍िकल पक्ष भी है। यह फिल्‍म बड़े पर्दे के लिए  पहली बार 4K क्‍वाल‍िटी में रिस्टोर की गई । याद रहे 50 साल पहले भी फिल्म कुछ सिनेमाघरों में 70mm रेशियो 2.2:1 में पेश की गई और अब इस फिल्म के ओरिजिनल नेगेटिव जो फिल्‍म हेरिटेज फाउंडेशन के पास बरसों से सुरक्षित रखे गए थे उन पर करीब ढाई साल तक काम करने के बाद अब मैग्नेटिक ट्रैक से बेहतर ऑडियो Dolby 5.1 में रिलीज किया गया है इस बार फिल्म में बहुत कुछ बदला हुआ और नया है सिर्फ इतना ही नहीं है। इस बार पर्दे पर आप  ओरिजनल क्‍लाइमैक्‍स देखेंगे है जो राइटर सलीम-जावेद ने लिखा था, धर्मेंद्र, संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन , अमजद खान ,
जया बच्‍चन, हेमा मालिनी,l स्‍टारर 'शोले' इमरजेंसी के दौर में रिलीज हुई थी। सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्माता को ओरिजिनल एंडिंग बदलने के लिए मजबूर किया था। ना चाहते हुए भी रमेश सिप्‍पी को क्‍लाइमैक्‍स सीन फिर से शूट करना  पड़ा था। दरअसल, ओरिजनल क्लाइमेक्स में, ठाकुर (संजीव कुमार) को गब्बर सिंह (अमजद खान) को मारते हुए दिखाया गया था। वो भी अपने कील वाले जूतों से मसलकर। लेकिन सेंसर बोर्ड के दबाव में तब इसे बदला गया। पिछली 'शोले' के इस सीन उसी वक्त पुलिस आ जाती है और गब्बर अरेस्ट हो जाता है।इस फिल्म के पहले शूट हुए क्‍लाइमैक्‍स में गब्बर की मौत का सीन और इमाम साहब के बेटे अहमद की हत्‍या का सीन काफी लंबा था। तब सेंसर बोर्ड ने इन सीन्‍स पर कैंची चला दी थी। सेंसर बोर्ड का तर्क था ठाकुर द्वारा गब्‍बर सिंह को नुकीले जूतों से मारना और अमजद की हत्या के दृश्य बहुत हिंसक है।
इस फिल्म की री-रिलीज में कई नए दृश्य जोड़े तो ऐसे में फिल्म को एक बार फिर सेंसर  सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से  गुजरना पड़ा। पिछले महीने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने फिल्म को  बिना किसी कट के इसे ‘U’ सर्टिफिकेट के साथ पास किया। यह फिल्‍म अब 209.05 मिनट की है। अब रिलीज़ हुई इस फिल्म की अवधि 3 घंटे, 29 मिनट और 5 सेकंड यानी करीब साढ़े तीन घंटे की हो गई है । 50 साल पहले जब फिल्म रिलीज हुई फिल्म हुई थी तो इसकी अवधि 190 मिनट, यानी लगभग 3 घंटे 10 मिनट की थी।
वहीं फिल्म के एक दृश्य में वीरू जब बसंती को रिवाल्वर चलाना सीखाता है तो यहां जय के एक डायलॉग के 'जेम्स बॉन्ड' रेफरेंस को बदलकर 'तात्या टोपे' किया गया है।अब इस ऐतिहासिक सुपर हिट एवरग्रीन फिल्‍म को बिग स्क्रीन पर फिर से देखने का सुनहरी मौका है। फिल्‍म को 4 के पिक्‍चर क्‍वालिटी, डॉल्बी 5.1 साउंड, ओरिजनल क्‍लाइमैक्‍स, और कुछ ऐसे खास दृश्य जिन्हें फिल्म की अधिक लंबाई होने की वजह से मेकर ने काटा या फिर सेंसर बोर्ड ने इन पर ऐतराज किया तो उन्हें चेंज करना पड़ा अब इन्हीं सीन्‍स के साथ इस फिल्म देखना मेरी नजर में एक अलग अनुभव होगा। इन सब से परे, फिल्‍म में धर्मेंद्र हैं। बॉलीवुडके ही-मैन को पुराने रूप में सिनेमाघरों में एकबार फिर संजोने का ऐसा मौका है जो आपकी आँखें नम कर कर सकता है, और फिल्म की मेकिंग कंपनी इस बार फिल्म को मुंबई में ग्रैंड प्रीमियर में जय और वीरू की मौजूदगी के साथ रिलीज करना चाहती थी, बिग बी ने बहुत पहले ही हामी भर दी थी, इस बारे में सिप्पी फैमिली ने फिल्म की रिलीज डेट से करीब डेढ़ महीने पहले धर्मेंद्र से भी बात कर ली थी और धर्म पा जी झट हां कर दी थी, लेकिन नियति को शायद यह मंजूर नहीं था , यही वजह रही कि 50 साल बाद फिर से रिलीज हो रही इस फिल्म का यह आयोजन कैंसल करना पड़ा तो भरे मन से मेकर कम्पनी ने फिल्म की शुरुआत में धर्म पा जी को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद फिल्म की शुरुआत के बाद फिल्म शुरू की। अगर आपने बरसो पहले इस फिल्म को एक नहीं कई बार देखा है तो भी इस बार फिल्म को एक चमकते और टोटली बदलाव और करीब बीस मिनट की बढ़ी हुई अवधि के साथ इस बार फिर देखे और अगर सिनेमा के 70 एम एम के बिग स्क्रीन पर इस ग्रेट फिल्म को नहीं देखा तो इस बार किसी भी सूरत में मिस न करे।

संसद से बॉलीवुड तक - दिग्गजों ने दी धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि

दिल्ली:  डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, जनपथ में आयोजित श्री धर्मेंद्र जी की प्रेयर मीटिंग में राजनीतिक, सामाजिक और फिल्म जगत के प्रमुख हस्तियों ने पहुंचे और दिग्गज अभिनेता के प्रति अपनी गहरी श्रद्धांजलि अर्पित की। मीटिंग की मेजबानी हेमा मालिनी, ईशा व भरत तख्तानी, अहाना व वैभव ने की। धर्मेंद्र जी की लोकप्रियता और देशभर में उनके प्रति अपार स्नेह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के कई सांसदों और नेताओं ने प्रेयर मीटिंग में उपस्थिति दर्ज कराई।

इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, किरेन रिजिजू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, तथा अन्य कई वरिष्ठ सांसद और नेता धर्मेंद्र जी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। फिल्म जगत से भी कई जानी-मानी हस्तियों ने उनकी याद में सिर झुकाया। जिनमें प्रमुख रूप से रंजीत, फिल्म निर्देशक अनिल शर्मा, और कई अन्य कलाकार एवं तकनीशियन शामिल रहे। समारोह के दौरान सभी नेताओं और फिल्मी हस्तियों ने धर्मेंद्र जी के सरल स्वभाव, विनम्रता और भारतीय सिनेमा पर उनके अमिट योगदान को याद किया।

धर्मेंद्र जी की याद में माहौल भावुक रहा और सभी ने उन्हें “लोगों के दिलों में बसने वाला सच्चा सुपरस्टार” बताया। प्रेयर मीटिंग में बड़ी संख्या में प्रशंसक भी उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने प्रिय सितारे को नम आंखों से अंतिम विदाई दी।

गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल फतेह नगर की ब्रांच बंद नहीं हुई है बल्कि उसे शिफ्ट किया गया है


दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य गुरमीत सिंह भाटिया ने बताया कि गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल फतेह नगर की ब्रांच बंद नहीं हुई है बल्कि उसे शिफ्ट किया गया है, और इस मामले में कुछ लोगों द्वारा वीडियो पोस्ट करके किया जा रहा प्रचार गलत है।

आज यहाँ जारी एक बयान में गुरमीत सिंह भाटिया ने कहा कि उनका नाम लेकर उनसे जवाब देने की बात कही गई थी, इसलिए वे स्पष्ट करना चाहते हैं कि गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल फतेह नगर की ब्रांच बंद नहीं हुई, बल्कि शिफ्ट हुई है। उन्होंने कहा कि दिसंबर महीने में आम तौर पर लोग बच्चों के छोटे क्लासों में एडमिशन करवाते हैं, और ऐसे समय में गलत वीडियो डालने से कौम का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल कौम की अमानत हैं और उनकी बेहतरी के लिए दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी की मौजूदा टीम पूरी मेहनत से काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि जहाँ तक कमेटी द्वारा किए जा रहे कामों का सवाल है, तो वे बताना चाहते हैं कि कमेटी की ओर से इस समय 50 रुपये में एमआरआई और सीटी स्कैन की सुविधा दी जा रही है और मुफ्त डायलिसिस की सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अलावा कमेटी कर्मचारियों के लिए फ्लैट और हॉस्टल बना रही है तथा और भी कई कार्य किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग कभी सरदार मंजिंदर सिंह सिरसा, कभी सरदार हरमीत सिंह कालका और कभी सरदार जगदीप सिंह काहलों के बारे में भ्रामक वीडियो पोस्ट करते हैं। वे बताना चाहते हैं कि कमेटी की ओर से गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 350वां शहीदी दिवस बहुत ही यादगार तरीके से मनाया गया और इसी तरह अन्य दिवस भी मनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा टीम पूरी लगन से कौम की सेवा कर रही है।

एमसीडी स्थाई समिति की बैठक में बिना फायर एनओसी चल रहे प्रतिष्ठानों का मुद्दा उठा

दिल्ली: मंगलवार को हुई स्थायी समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाते हुए पार्षद प्रवीन राजपूत ने कहा कि  फायर एनओसी एक बहुत गंभीर मुद्दा हैं। सत्ता पक्ष यह भूल जाता है कि निगम में पिछले 15 साल से भाजपा की ही सरकार है। भाजपा आज जो चिंताएं जता रही हैं, वही समस्याएं पहले भी थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अवैध गतिविधियों की निगरानी में भारी कमी आई है। दिल्ली में कई गैरकानूनी गतिविधियाँ चल रही हैं। विशेषकर रेस्टोरेंट, हॉस्पिटल और मॉल्स के बेसमेंट में चल रहे हैं। जबकि बेसमेंट में लैब, शोरूम, दुकान नहीं चल सकती है। सिर्फ गोदाम की अनुमति है। लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली के कई अस्पतालों और मॉल्स के बेसमेंट पूरी तरह से शोरूम, लैब और मार्केट की तरह चल रहे हैं। अगर वहां कोई दुर्घटना हो जाए, तो बाहर निकलना असंभव है।

उन्होंने मांग की कि फायर एनओसी की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाए। इसमें स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य, विभागीय अधिकारी, और स्वयं समिति की चेयरमैन भी शामिल हों। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नियमित औचक निरीक्षण अनिवार्य होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लगभग 70-80 फीसद रेस्टोरेंट 90 मीटर के नियम से बचने के लिए 89.5 मीटर दिखाते हैं ताकि फायर एनओसी न लेनी पड़े। ये जनता की जान से सीधा खिलवाड़ है। इसके अलावा, कई रेस्टोरेंट टेरिस पर अवैध स्ट्रक्चर बनाकर चला रहे हैं। गोवा की दुर्घटना भी ऐसे ही अवैध लकड़ी के स्ट्रक्चर के कारण हुई। सीटिंग कैपेसिटी से ज्यादा सीटें लगाकर लाइसेंस का दुरुपयोग किया जा रहा है। लाइसेंस एक्सपायर होने के बाद भी विभाग की मिलीभगत से रेस्टोरेंट चलते रहते हैं।
 बिना एनओसी से चल रहे होटल, क्लब, रेस्तरां को लेकर मंगलवार को मेयर राजा इकबाल सिंह और निगमायुक्त अश्विनी कुमार को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए उन्होंने मांग की है कि दिल्ली भर में फायर एनओसी का तत्काल ऑडिट किया जाए, बिना एनओसी के चल रहे प्रतिष्ठानों पर तुरंत कार्रवाई की जाए, 15 दिन में सेफ्टी-कंप्लायंस रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, अवैध प्रतिष्ठानों पर सीलिंग या जुर्माने की कार्रवाई हो और एमसीडी और डीएफएस लाइसेंसिंग की संयुक्त टास्क फोर्स बनाएं।

एमसीडी  में आम आदमी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने मंगलवार को मेयर राजा इकबाल सिंह और निगमायुक्त अश्विनी कुमार पत्र लिखकर गोवा के एक नाइट क्लब में हुए भीषण अग्निकांड से सबक लेने की नसीहत दी है। उन्होंने एमसीडी से मांग की है कि फायर एनओसी की ऑडिट कराई जाए और बिना एनओसी के चल रहे प्रतिष्ठानों पर सीलिंग या जुर्माने की कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि गोवा नाइट क्लब अग्निकांड निगम के लिए एक चेतावनी है। अगर कड़े कदम नहीं उठाए गए तो दिल्ली में भी गोवा जैसी घटना हो सकती है।
एमसीडी के नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गोवा नाइट क्लब अग्निकांड निगम के लिए गंभीर चेतावनी है। दिल्ली में फायर एनओसी की स्थिति भयावह है। 1000 से ज्यादा होटल, क्लब, बार में से सिर्फ 90 के पास ही वैध एनओसी है। 132 बैंकेट हॉल बिना एनओसी के चल रहे हैं, जिस कारण दिल्ली की 2 करोड़ आबादी खतरे में है। अगर समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए गए तो गोवा जैसी त्रासदी दिल्ली में किसी भी दिन दोहराई जा सकती है।

 

मंदिरों के अधिग्रहण एवं बढ़ती मजहबी कट्टरता पर चिंतन के साथ शुरू हुई मार्गदर्शक मण्डल की बैठक

दिल्ली: मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण, धर्मांतरण और बढ़ती मजहबी कट्टरता पर चिंतन के साथ प्रारंभ हुई विहिप के केन्द्रीय मार्ग दर्शक मण्डल की द्विदिवसीय बैठक। जिसमें देशभर से लगभग 300 संतों के शामिल होने के समाचार मिले हैं ।ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में प्रारंभ हुए उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी ने हिंदू समाज के समक्ष चुनौतियों के बारे में बताते हुए पूज्य संतों से निम्नलिखित बिन्दुओ पर उनके द्वारा समाज के मार्गदर्शन का आग्रह किया:
1.हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति।
2.देश भर में धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं पर विराम हेतु प्रभावी उपाय।
3.धर्म स्वातंत्र्य कानून को संपूर्ण देश में एक समान रूप से लागू करना
4.देश में बढ़ती जिहादी मानसिकता, कट्टरता और हिंसक घटनाएं।  

5.सीमांत क्षेत्रों में बढ़ती सामाजिक समस्याओं और नशामुक्ति अभियान।
6.आगामी जनगणना में सभी हिन्दू अपना धर्म ‘हिन्दू’ ही लिखें। 

बैठक में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री पूज्य स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी ने कहा कि कुछ समूह आज जिहाद और आतंकी मानसिकता को उचित ठहराने का दुस्साहस कर रहे हैं। दिल्ली में हुए आतंकी हमले के आरोपी का समर्थन करने की प्रवृत्ति अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने मांग की कि देश की संसद कठोर और प्रभावी कानून लाए। उन्होंने देवालयों की सरकारी अधिग्रहण से मुक्ति तथा जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता पर भी बल दिया।
बंगाल से पधारे पूज्य संतों ने राज्य की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि कट्टरपंथियों द्वारा सार्वजनिक रूप से दिए जा रहे जिहादी बयान, हिंदुओं को धमकी व अत्याचार न सिर्फ बंगाल बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए चेतावनी है।
सुधांशु जी महाराज ने राममंदिर निर्माण की 500 वर्षों की तपस्या और संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की असली ऊर्जा हमारे संतों और सांस्कृतिक परंपराओं में निहित है। आज समय की आवश्यकता है कि गुरुकुल, पुजारी परंपरा, आश्रम और संस्कार केंद्रों को सशक्त बनाया जाए तथा सनातन समाज अपनी सांस्कृतिक शक्ति के लिए संगठित हो।
बैठक में पूज्य जगद्गुरु स्वामी राम कमलचार्य जी, अटल पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी विशोकानंद जी महाराज, पूज्य स्वामी विवेकानंद जी महाराज, गीता मनीषी ज्ञानानंद जी महाराज, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री पूज्य स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती जी महाराज, विहिप उपाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंघल, संरक्षक श्री दिनेश चंद्र, सह संगठन मंत्री श्री विनायक राव व  केन्द्रीय मंत्री श्री अशोक तिवारी सहित देशभर से पधारे अनेक पूजनीय संत और विहिप पदाधिकारी उपस्थित रहे।

गोवा की आग त्रासदी दिल्ली के लिए चेतावनी

दिल्ली में फायर एनओसी की स्थिति भयावह है ।  1000 से भी ज़्यादा होटल, क्लब एवं बार में से सिर्फ 90 के पास ही वैध एनओसी है । तिसपर हैरानी की बात यह है कि 132 बैंकेट हॉल बिना एनओसी के चल रहे हैं । जिसके कारण दिल्ली की 2 करोड़ आबादी पर खतरा मंडरा रहा है। एमसीडी के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने  आज  एक खत के माध्यम से दिल्ली के महापौर राजा इकबाल सिंह एवं आयुक्त अश्विनी कुमार से तत्काल प्रभाव से दिल्ली भर में फायर एनओसी का तत्काल ऑडिट एवं बिना NOC चल रहे प्रतिष्ठानों पर तुरंत कार्रवाई की माँग की है । 15  दिन के  अंदर सेफ्टी कंप्लाइंसेज रिपोर्ट को शामिल किया जाना चाहिये । उनका मानना है कि भविष्य में आगजनी के खतरे  से बचने के लिए अवैध प्रतिष्ठानों की सीलिंग जरूरी है ।

एमसीडी-डीएफएस लाइसेंसिंग की संयुक्त टास्क फोर्स के गठन की मांग पर बल देते हुए  उन्होंने अंदेशा जताया कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाये गए तो दिल्ली में गोवा में हुई आगजनी की त्रासदी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता ।

ऑनलाइन पुनः निवेश का झाँसा देकर 49.73 लाख की धोखाधड़ी की गुत्थी सुलझी

दिल्ली: क्राइम ब्रांच इंटरस्टेट सेल द्वारा गठित टीम ने  तकनीकी सेविलेंस के आधार पर भुवनेश्वर एवं गंजाम (उड़ीसा) में विभिन्न ठिकानों पर दबिश कर कड़ी मशक्कत के बाद 3 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर एक शेयर ब्रोकर को पुन: निवेश का झाँसा देकर 49.73 लाख की धोखाधड़ी की गुत्थी सुलझाई । गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम हैं प्रवेश चंद्र पांडा, प्रीतम रोशन पांडा एवं श्रीतम रोशन पांडा । तीनों ही अभियुक्त भुवनेश्वर (उड़ीसा) के रहने वाले हैं । इन्होंने यह धोखाधड़ी श्रीजी अपेरल के नाम से मल्टी लेयर एकाउंटिंग सिस्टम के माध्यम से की थी । 

आरंभिक जाँच से पता चला है कि अभियुक्तों के खिलाफ देश भर में साइबर धोखाधड़ी के 165 मामले दर्ज हैं । इनके द्वारा की गई धोखाधड़ी का आंकलन 6.33 करोड़ के लगभग है । इनके कब्जे से 6.33 करोड़ के इन्वेस्टमेंट फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़ 17 मोबाइल, 21 सिम, 124 कार्ड, 56 पासबुक, चेकबुक इत्यादि बरामद हुए । अभियुक्त फिलहाल हिरासत में हैं एवं मामले पर तहक़ीक़ात जारी है ।

बजट में कटौती करना बताता है कि एमसीडी फिर से कंगाल होने वाली है: आप निगम पार्षद

 

दिल्ली:  स्टैंडिंग कमेटी में पेश किए गए दिल्ली नगर निगम के बजट को झूठ का पुलिंदा बताते हुए  ‘‘आप’’ के एमसीडी सह प्रभारी प्रवीण कुमार ने कहा कि भाजपा सरकार का यह बजट दिल्लीवालों के साथ धोखा है। क्योंकि जन कल्याण के लिए कोई स्कीम नहीं है और मुख्य मुद्दे गायब हैं। एमसीडी का कुल बजट 16,530 करोड़ रुपए का है और एमसीडी पर 16 हजार करोड़ की देनदारी ही है। ऐसे में निगम विकास कार्य कैसे करेगा? इस बजट में प्रदूषण को कम करने, डीबीसी कर्मचारियों पक्का करने, पार्षदों को विकास कार्य करने के लिए फंड का कोई प्रावधान नहीं है, जो दिल्लीवालों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि दिल्लीवालों को उम्मीद थी कि अब दिल्ली में चार इंजन की सरकार है तो हर तरफ विकास की गंगा बहेगी, लेकिन बजट ने सबको निराशा कर दिया।
शनिवार को ‘‘आप’’ मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर एमसीडी के सह प्रभारी प्रवीण कुमार ने कहा कि भाजपा द्वारा दिल्ली की जनता के साथ लगातार धोखा किया जा रहा है। केंद्र से लेकर निगम तक भाजपा की चार इंजन की सरकार होने के बावजूद वह दिल्ली के लिए कुछ भी डिलीवर करने में नाकाम है। शुक्रवार को सिविक सेंटर में तमाम अड़चनों के बाद बनी स्टैंडिंग कमेटी की बैठक हुई जिसमें पहला बजट पेश किया गया। प्रवीण कुमार ने इस बजट को दिल्लीवालों के साथ पूरी तरह धोखा, हवा हवाई और आई वॉश बताते हुए कहा कि यह बजट एक सफेद झूठ का पुलिंदा है।
शुक्रवार  को स्टैंडिंग कमेटी में 16,530 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया और एमसीडी के ऊपर वर्तमान में देनदारी भी लगभग 16,000 करोड़ रुपए ही है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर भाजपा किसे बेवकूफ बनाना चाहती है? जब बजट के बराबर ही कर्ज है तो निगम विकास कार्य कैसे करेगा? इससे पहले जब आम आदमी पार्टी की सरकार थी तो उसने 17,000 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। भाजपा ने एक तरफ तो बजट की राशि कम कर दी और ऊपर से भारी भरकम देनदारी के बीच यह बजट पेश कर दिया, जिससे कोई काम होना संभव नहीं है।
 बजट में दिल्ली के मुख्य मुद्दे पूरी तरह नदारद हैं। जैसे, आज दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति भयंकर है और लोग गिन गिन कर सांसे ले रहे हैं। कोर्ट भी इसका संज्ञान ले रहा है। लेकिन भाजपा को इसकी कोई चिंता नहीं है। हमें आशा थी कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए बजट में कोई अलग से प्रावधान किया जाएगा, लेकिन भाजपा ने अपने बजट में इसके लिए कोई फंड नहीं रखा। यह दिल्लीवासियों के लिए बहुत बड़ा धोखा है जो बड़ी आशा के साथ इस चार इंजन की सरकार की ओर देख रहे थे।
पार्षदों के फंड का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब से एमसीडी और दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है, पार्षदों को क्षेत्र के विकास के लिए दिया जाने वाला फंड जारी नहीं किया गया है। ऐसे में जनता के काम कैसे होंगे? उन्होंने बताया कि भाजपा ने हर पार्षद को दो करोड़ रुपये देने का वादा किया था, जिसके हिसाब से बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान होना चाहिए था। लेकिन पार्षदों के लिए बजट में एक रुपये का भी प्रावधान नहीं किया गया। वहीं, डीबीसी कर्मचारी लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। बजट में उनके लिए प्रावधान का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें झुनझुना थमा दिया गया। जबकि 60 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि भाजपा का यह बजट सिर्फ जनता को धोखा देने के लिए है। एमसीडी के अस्पतालों में दवाइयां बिल्कुल उपलब्ध नहीं हैं और जनता इलाज के लिए परेशान हो रही है। स्कूलों की हालत भी खस्ताहाल है, जहां छतें गिर रही हैं और शिक्षक नदारद हैं या समय पर नहीं आते। भाजपा ने एक ऐसा बजट पेश किया है जो दिल्ली वालों के साथ सरासर अन्याय और धोखा है।
वहीं, स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य प्रवीण राजपूत ने कहा कि दिल्ली की जनता को बजट से बड़ी उम्मीदें थी। दिल्लीवालों को उम्मीद थी कि चार इंजन की सरकार है तो विकास की गंगा बहेगी। लेकिन सबको निराशा हाथ ली। भाजपा ने एक भी नई जन कल्याण की योजना न लाकर लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। दिल्ली को उम्मीद थी कि हाउस टैक्स में उन्हें राहत मिलेगी, लेकिन नहीं मिली। भाजपा सरकार अब 25 गज के छोटे मकानों से भी हाउस टैक्स वसूलना चाहती है। जबकि आम आदमी पार्टी की मंशा हाउस टैक्स माफ करने की थी। 
प्रवीण राजपूत ने कहा कि आज दिल्ली में सबसे बड़ा मुद्दा प्रदूषण है। इसका एक बड़ा कारण धूल है। एलजी भी 50 से 60 फीसद प्रदूषण का कारण धूल को बता रहे हैं। इस 90 फीसद धूल को साफ करने की जिम्मेदारी एमसीडी की है। इसके बाद भी भाजपा सरकार ने बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में ‘‘आप’’ की सरकार थी, तब भाजपा के सारे सांसद, पार्षद और विधायक 13 हजार करोड़ रुपए की मांग को लेकर प्रदर्शन करते थे। आज जब दिल्ली और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है, तो वह 13 हजार करोड़ रुपये कहां गए? अब भाजपा ने बजट में इस पर पूरी तरह चुप्पी साध ली है।
इस दौरान आम आदमी पार्टी की एमसीडी सह-प्रभारी प्रीति डोगरा ने कहा कि एमसीडी के बजट को देखकर हर कोई हैरान है। भाजपा पहले 15 साल एमसीडी में रही और उस दौरान एमसीडी को कंगाल कर दिया था। 2022 में जब एमसीडी में आम आदमी पार्टी का मेयर चुना गया, तो निगम में सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई थी। वर्षों से परेशान चल रहे कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया गया। ऐसे कर्मचारी, जिनकी सेवानिवृत्ति में महज 10 महीने या एक-दो साल बचे थे, उन्हें भी स्थायी किया गया। अब फिर से एमसीडी में भाजपा का मेयर है और एमसीडी उसी बदहाली के मोड़ पर आ गई है। पूरी दिल्ली में जगह-जगह गंदगी का अंबार है। भाजपा सरकार ने अपने पहले ही बजट में साफ-सफाई से हाथ खड़े कर दिए हैं और बजट में 500 करोड़ रुपए की कटौती कर दी है। चार इंजन की सरकार होने के बावजूद भाजपा को बजट में कटौती करने की क्या मजबूरी है?
प्रीति डोगरा ने कहा कि जब आम आदमी पार्टी को मेयर था, तब भाजपा नेता बकाया रकम और कर्मचारियों को पक्का करने की मांग करते थे। लेकिन अब जब वह सत्ता में है, तो कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ कर रही है। भाजपा सरकार में एमसीडी के स्कूलों और अस्पतालों की हालत खस्ता है। अस्पतालों में गरीब इलाज कराने जाता है, लेकिन वहां मशीनें खराब हैं, बिस्तरों की कमी है और सफाई नदारद है। मरीजों को टेस्ट बाहर से कराने के लिए कहा जाता है। स्कूलों में डेस्क तक नहीं हैं और बच्चों को फर्श पर चटाई बिछाकर बैठना पड़ता है। मिड-डे मील में भी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।

तीखे संवाद, खून-खराबा और अद्भुत अभिनय का मिश्रण धुरंधर

 
दिल्ली:निर्देशक आदित्य धर की महत्वाकांक्षी फिल्म धुरंधर न सिर्फ़ अपनी भारी-भरकम अवधि (3 घंटे 32 मिनट) बल्कि अपने विशाल कैनवास और राजनीतिक-पृष्ठभूमि वाले एक्शन–ड्रामा के कारण भी सुर्खियों में है।
रणवीर सिंह इस फिल्म में उस ऊर्जावान फॉर्म में दिखाई देते हैं, जिसकी दर्शक लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे थे। उनका चरित्र—जंगली, अनियंत्रित, खतरनाक और फिर भी संवेदनशील—फिल्म का धड़कता दिल है।
कहानी: इतिहास की आग में पका एक सिनेमाई थ्रिलर
फिल्म की कहानी 30 दिसंबर 1999 से शुरू होती है—वही समय जब भारत सरकार तीन ख़तरनाक आतंकियों की रिहाई पर अंतिम मुहर लगा चुकी थी, ताकि कंधार अपहरण के बंधकों को छुड़ाया जा सके। इसी माहौल में इंटेलिजेंस ब्यूरो अधिकारी अजय सान्याल (आर. माधवन) ‘प्रोजेक्ट धुरंधर’ की शुरुआत करते हैं, जिसकी छाया पूरे कथानक पर छाई रहती है।
यहीं से सामने आता है फिल्म का सबसे दिलचस्प किरदार—हमज़ा अली मज़ारी, जो असल में जसकीरत सिंह रंगीली है (रणवीर सिंह)। उसे पाकिस्तान के कराची में बसे ल्यारी गैंगस्टर सर्किट में घुसपैठ कर भारत-विरोधी गठजोड़ को भीतर से ध्वस्त करना है।
फिल्म में विस्तार से दिखाया गया है कि कैसे पाकिस्तान की राजनीति, गैंगस्टर वर्ल्ड और ISI का गठजोड़ मिलकर कराची को एक भयावह सत्ता-केन्द्र में बदल देता है। यह हिस्सा फिल्म को एक ठंडा, हिंसक और यथार्थवादी धार देता है।
अभिनय: रणवीर दमदार, अक्षय खन्ना करिश्माई
रणवीर सिंह पूरी फिल्म को अपने कंधों पर उठाए दिखाई देते हैं—हर फ्रेम में ऊर्जा और तीखापन साफ नज़र आता है।
• अक्षय खन्ना एक राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले गैंगस्टर के रूप में लाजवाब हैं।
• संजय दत्त, पाकिस्तानी सुपरकॉप से प्रेरित किरदार में, बेहद असरदार और खतरनाक दिखाई देते हैं।
• अर्जुन रामपाल, मेजर इकबाल के रोल में, सीमित स्क्रीन टाइम के बावजूद गहरा प्रभाव छोड़ते हैं।
• सारा अर्जुन यलीना के किरदार में ताज़गी लाती हैं।
• राकेश बेदी और गौरव गेरा अपने-अपने किरदारों में चौंकाते हैं।
हिंसा और मनोविज्ञान की टकराहट
कुछ दृश्य इतने कठोर और क्रूर हैं कि कमज़ोर दिल वाले दर्शक असहज हो सकते हैं। खासकर मेजर इकबाल का टॉर्चर सीक्वेंस फिल्म के सबसे डार्क और यादगार पलों में से एक है।
संगीत, तकनीक और ट्रीटमेंट
शाश्वत सचदेव का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को नई ऊंचाई देता है। पुराने पाकिस्तानी पॉप और ग़ज़ल—हवा हवा, चुपके चुपके, आफ़रीन आफ़रीन—को जिस चतुराई से कहानी में पिरोया गया है, वह फिल्म को सांस्कृतिक वास्तविकता से जोड़ता है।
एक्शन दृश्य भव्य हैं और कैमरा वर्क कराची के अंदरूनी हिस्सों को बेहद वास्तविक रूप में पेश करता है।
कमज़ोरियाँ
फिल्म का दूसरा भाग अपनी रूपरेखा से थोड़ा भटकता है और कई जगह ऐसा लगता है जैसे यह एक अलग फिल्म की ओर मुड़ गई है। साथ ही दूसरी किस्त—जो 19 मार्च 2026 को आएगी—के कई दृश्य पहले ही ट्रेलर में दिखाए जाने से रोमांच कुछ कम होता है।
निष्कर्ष: एक विशाल, हिंसक और रोमांचकारी सिनेमाई अनुभव
धुरंधर राजनीति, जासूसी, गैंगस्टरों की दुनिया और राष्ट्रीय सुरक्षा के टकराव को लेकर बनी एक बारीक और बड़े पैमाने की फिल्म है। यह न तो सिर्फ एक्शन पर निर्भर है और न ही सिर्फ भावनाओं पर—बल्कि दोनों के बीच एक तेज धार पर चलती है।
फिल्म अंत में कई सवाल छोड़ जाती है—
क्या दूसरा भाग कहानी को और अधिक ताकत देगा?
क्या रणवीर सिंह अगले अध्याय में भी इसी तीव्रता को बनाए रख पाएंगे?
इन सवालों के जवाब दर्शकों को अगले साल मिलेंगे।
कुल मिलाकर—धुरंधर एक दमदार, एंगेजिंग और थिएटर-फ्रेंडली फिल्म है, जिसे मिस नहीं करना चाहिए।

टिकटों में वितरण में हुई धांधली के कारण मुस्लिम वोट खिसकने की जिम्मेदारी से बचने का आप का प्रयास

 दिल्ली: एमसीडी के उप-चुनावों में इस बार भाजपा ने 12 में  से 8 महिला प्रत्याशी मैदान में उतारे जिनमें से 6 ने जीत हासिल की । भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा के अनुसार 12 में से 7 वार्डों में जीत एवं  भाजपा को  फीसदी वोट मिलना दर्शाता है कि भाजपा आज भी दिल्ली वालों की पहली पसंद है । उन्होंने आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज एवं अन्य नेता दुर्गेश पाठक पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी अनर्गल बयानबाजी जहाँ उनकी हार की हताशा को दिखती है वहीं यह उनकी पार्टी द्वारा टिकटों में वितरण में हुई धांधली के कारण मुस्लिम वोट खिसकने की जिम्मेदारी से बचने का प्रयास भी है । 

आप के नेता बहुत कम वोटों से  अशोक विहार में हरकार एवं नारायणा में जीतकर भी वोट चोरी एवं चुनाव चोरी जैसे बयान देते दिखाई देना एवं पुनः गिनती करवाने के बाद भी असंतुष्ट दिखाई देना उनकी हताशा को दर्शाता है । भाजपा नेताओं ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के चुनाव प्रचार से ना जुड़ने पर भी सवालिया निशान लगाये हैं ।

फिल्ममेकर और सोशल एक्टिविस्ट अशोक पंडित ने जया बच्चन के बयान की कड़ी आलोचना

वरिष्ठ अभिनेत्री और सांसद जया बच्चन द्वारा हाल ही में दिए गए बयान ने फिल्म इंडस्ट्री और मीडिया हलकों में नई बहस छेड़ दी है। पपराज़ी को लेकर उनके वक्तव्य पर फिल्ममेकर एवं सोशल एक्टिविस्ट अशोक पंडित ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। 
अशोक पंडित ने कहा कि जया बच्चन  का पपराज़ी के प्रति रवैया “घमंडी अभिजात्य मानसिकता” को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कुछ पपराज़ी की आक्रामक कवरेज पर सवाल उठाना एक बात है, लेकिन पूरे पेशे को नीचा दिखाना और क्लासिस्ट टिप्पणियाँ करना एक सम्मानित सांसद और इंडस्ट्री की वरिष्ठ सदस्य के लिए शोभा नहीं देता।
पंडित ने आगे कहा कि पपराज़ी मेहनती पेशेवर हैं, जो अपना काम करते हैं—और कई बार सितारों तथा उनके पीआर टीमों के बुलावे पर ही उनकी कवरेज के लिए पहुंचते हैं। “अगर उन्हें पपराज़ी संस्कृति पर इतनी आपत्ति है, तो बेहतर होगा कि पहले आत्मचिंतन करें, बजाय इसके कि वे इस तरह की गलत नाराज़गी दिखाएं,” उन्होंने कहा। 
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है, जहां कई यूज़र्स ने पपराज़ी के कार्य को ‘मीडिया इकोसिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा’ बताते हुए जया बच्चन  के बयान को अनुचित ठहराया है।

डॉ अंबेडकर का मुखोटा पहन संविधान बचाने का संकल्प

दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज और आदिवासी संगठनों का परिसंघ (डोमा परिसंघ) के द्वारा आज अंबेडकर भवन, रानी झांसी रोड, नई दिल्ली में हज़ारों की संख्या में लोग डॉ अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष संविधान बचाने की कसम लिए। यह एक अनोखा कार्यक्रम था, जिसमें हजारों लोग डॉ. अंबेडकर का मुखौटा लगाकर संकल्प लिया। रैली रामलीला मैदान में होनी थी लेकिन बीजेपी नेता की शिकायत पर एनओसी देने से इनकार कर दिया। अनुशाशनबद्ध होने के कारण कार्यक्रम में परिवर्तन किया गया, फिर भी हज़ारों लोग शामिल हुए। सरकार की ज्यादती आज भी देखने को मिली। जुलाई से प्रचार हो रहा था, कार्यक्रम रद्द होने की खबर दिया फिर भी लोग रामलीला मैदान में पहुचें और उनके साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया। क्या लोक तंत्र खत्म हो गया है? अंबेडकर भवन में शांतिपूर्वक संकल्प लेने पहुंचे और वहां भी भारी पुलिस की तैनाती और मार्च करने नहीं दिया गया। 

डोमा के राष्ट्रीय चेयरमैन, डॉ उदित राज जी ने संबोधित करते हुए कहा कि संविधान और जनतंत्र बचाना अब केवल राजनीतिक दलों के वश का नहीं रह गया है। तमाम संवैधानिक संस्थाएं कमजोर हो चुकीं हैं, जिन्हें कुछ ही लोग लड़कर सुरक्षित नहीं कर सकते। जन आंदोलन ही एकमात्र विकल्प है, अगर संविधान को बचाना है। अल्पसंख्यकों की धार्मिक आजादी लगभग छीन ली गई है। कदम-कदम पर मुस्लिम समाज के साथ भेदभाव हो रहा है। ईसाई समाज जब प्रार्थना करता है तो उस पर धर्मांतरण का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया जाता है। वर्तमान हालत में मुस्लिम और ईसाई समाज से अन्य वंचित समाज जैसे- दलित, पिछड़ा और आदिवासी के साथ सामाजिक नेटवर्किंग करना ही एकमात्र विकल्प है, जिससे संविधान और लोकतंत्र  की भी रक्षा हो सकेगी।
डोमा एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, फिर भी सत्ताधारी दल क्यों इतना डरा और सहमा है। पहले से निर्धारित कार्यक्रम को नहीं करने दिया और अंत तक पुलिस के द्वारा रुकावट पैदा की जाती रही। दिल्ली में चाहे जितनी बड़ी रैली या सम्मेलन हो उसका असर सीमित ही रहता है, इसलिए डोमा के साथी आज अंबेडकर का संदेश लेकर वापिस जाएं और गाँव, ब्लॉक और जिला तथा प्रदेश स्तर पर संगठन खड़ा करें ताकि सामाजिक न्याय और वैज्ञानिक सोच धरातल पर उतरे। यह कार्य शायद राजनैतिक दलों से बेहतर सामाजिक संगठन कर सकते हैं। 

मौलाना मदनी का बयान देश को विभाजन की और ले जाने की कुचेष्ठा: डॉ संबित पात्रा

दिल्ली: जमीयत उलेमा- ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी द्वारा भोपाल में आयोजित सम्मेलन में दिया गया भाषण न केवल भड़काऊ है बल्कि देश को विभाजन की ओर ले जाने की कुचेष्टा दर्शाता है। मौलाना महमूद मदनी का यह कहना कि ‘जुल्म होने पर जिहाद होगा, अब जिहाद होना चाहिए’ अत्यंत अनुचित है क्योंकि जिहाद के नाम पर भारतवर्ष ही नहीं पूरे विश्व में आतंक और हिंसा फैलाई गई है और ऐसे संदर्भ में भारत में जिहाद का उल्लेख गैर जिम्मेदाराना वचन है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ संबित पात्रा ने  साधा निशाना काज कि यह  अत्यंत चिंताजनक है कि मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मुसलमानों के लिए जिहाद पवित्र है और जहां उन्हें जुल्म दिखे वहां जिहाद करना चाहिए। ऐसे शब्द भारत की मूल भावना और भारत के मूल मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ पर प्रहार करते हैं। इस प्रकार की अभिव्यक्ति अनुचित है और इसकी घोर निंदा की जाती है।

मौलाना महमूद मदनी द्वारा यह कहना कि भारत सरकार के दबाव में अदालतें काम करती हैं और सर्वोच्च न्यायालय को स्वयं को सर्वोच्च कहलाने का कोई अधिकार नहीं है, यह न्यायपालिका पर सीधा प्रहार है। उनके यह प्रश्न कि सर्वोच्च न्यायालय तीन तलाक पर सुनवाई कैसे करता है, मंदिर मस्जिद के विषय पर सुनवाई कैसे करता है और हमारे मामलों को स्वीकार कैसे करता है, स्पष्ट रूप से न्यायालय की गरिमा को कमतर दिखाने का प्रयास है। मौलाना महमूद मदनी का यह कहना कि सर्वोच्च न्यायालय को स्वयं को सर्वोच्च कहलाने का अधिकार नहीं है, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और पूरी तरह अस्वीकार्य है। सर्वोच्च न्यायालय के विरुद्ध मौलाना महमूद मदनी द्वारा की गई टिप्पणी अत्यंत गंभीर है और सर्वोच्च न्यायालय स्वयं संज्ञान लेने का अधिकार रखता है क्योंकि यदि कोई साधारण नागरिक भी इस प्रकार की टिप्पणी करे तो सर्वोच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान ले सकता है। इतना बड़ा नेता यदि इस प्रकार का वक्तव्य देकर लोगों को बरगलाने और सर्वोच्च न्यायालय के विरोध में उकसाने का प्रयास करे तो यह न्यायालय की गरिमा को क्षति पहुंचाने वाला है और इस पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया जाना अपेक्षित है। सर्वोच्च न्यायालय किसी भी मामले की सुनवाई जनता द्वारा प्रस्तुत याचिका के आधार पर करता है और वहां न हिंदू का मामला होता है न मुसलमान का, न्याय बराबरी से मिलता है और सर्वोच्च न्यायालय कभी भेदभाव नहीं करता।

गुस्ताख इश्क आज की दौर की मुगल-ए-आजम

दिल्ली :  मनीष मल्होत्रा की नई फ़िल्म ‘गुस्ताख़ इश्क़  कुछ पहले जैसा’ इन दिनों दर्शकों के बीच खूब सराही जा रही है। नसीरुद्दीन शाह, विजय वर्मा, फ़ातिमा सना शेख़ और शरीब हाशमी अभिनीत यह फ़िल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ होते ही पुरानी मोहब्बत का एहसास जगाते हुए दर्शकों को फिर से इश्क़ में डूबो रही है।

तेज़-तर्रार और चमकदार कहानियों के दौर में ‘गुस्ताख़ इश्क़’ अपने शांत, गहरे और भावनात्मक अंदाज़ से लोगों को इश्क़ महसूस करवाती है। फ़िल्म वह एहसास लौटाती है, जो धीरे-धीरे पनपता है, दिल में ठहरता है और क्रेडिट्स खत्म होने के बाद भी साथ बना रहता है।

दर्शक इसे “मस्ट वॉच” करार दे रहे हैं और सोशल मीडिया पर इसकी तारीफ़ों की बौछार हो रही है। लोग कह रहे हैं कि यह फ़िल्म कला और जीवन से भरी हुई है—बिल्कुल मनीष मल्होत्रा की खासियत की तरह—और गुलज़ार साहब के गीतों ने इसे और भी ख़ास बना दिया है।

फ़िल्म की कहानी, इसके संवाद और पुरानी शैली की शायरी दर्शकों के लिए किसी मुख्य किरदार से कम नहीं लग रही। वहीं फ़िल्म समीक्षक भी इसके पक्ष में उतर आए हैं। अभिनय, भावनात्मक परतें, विजय वर्मा और फ़ातिमा सना शेख़ की केमिस्ट्री और इसके सुकूनदेह संगीत ने क्रिटिक्स को बेहद प्रभावित किया है।

एक फ़िल्म समीक्षक ने तो इसे आज के दौर की “मुग़ल-ए-आज़म” तक लिख दिया।

सरल, सच्ची और दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी के साथ ‘गुस्ताख़ इश्क़’ आज के तेज़ रफ्तार समय में एक क्लासिक प्रेम-पत्र सी महसूस होती है—जैसे शोरगुल के बीच कोई मीठी, पुरानी शायरी।

मनीष मल्होत्रा और उनके भाई दिनेश मल्होत्रा द्वारा स्टेज5 प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित तथा विभु पुरी द्वारा निर्देशित ‘गुस्ताख़ इश्क़’ फिलहाल सिनेमाघरों में प्रदर्शनरत है।

कंटेंट की भूख इंसान को किस हद तक ले जाती है

युवा डायरेक्टर निहारिका साहनी की पहली फीचर फिल्म आत्माराम लाइव इस सप्ताह चुनिंदा सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। सोशल मीडिया की अंधी दौड़ और रातों-रात स्टार बनने की चाहत पर आधारित यह विषय शायद पहली बार मुख्यधारा की किसी फिल्म में इतनी स्पष्टता से दिखाया गया है—जहां कंटेंट की भूख इंसान को किस हद तक ले जाती है, यह फिल्म बड़े पर्दे पर बखूबी प्रस्तुत करती है। फिल्म की कहानी एक संघर्षरत सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक छोटे से गांव से बड़े शहर में सुपरस्टार बनने का सपना लेकर आता है। पिता ने इंजीनियरिंग में करियर बनाने की उम्मीद में उसे बी.टेक करवाया था, मगर युवक सोशल मीडिया की दुनिया में नाम कमाने के सपने में खो चुका है।
शहर में वह अपने साथी—पास की सब्ज़ी मंडी में काम करने वाले एक सरदार युवक—के साथ वीडियो बनाता है, पर हर बार असफल होता है। इसी दौरान सरदार मित्र के दादा जी का निधन हो जाता है, और अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पहुंचने पर इन्फ्लूएंसर को अचानक हॉरर कंटेंट बनाने का आइडिया आता है। वीडियो शूट करते हुए उसका पांव एक जली चिता की राख पर पड़ जाता है और राख उसके जूते में फंस जाती है।यहीं से शुरू होता है कॉमेडी और हॉरर का ऐसा सिलसिला, जो धीरे-धीरे दोनों दोस्तों की जिंदगी को उलझा देता है। चिता की राख के साथ “आत्माराम” का पीछा करना उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी को हिलाकर रख देता है। वहीं अपनी दादी की मृत्यु से दुखी युवती वैष्णवी भी इस अजीबोगरीब घटनाक्रम में उलझ जाती है।फिल्म सोशल मीडिया की व्यावहारिकता और युवाओं की हर वक्त ऑनलाइन रहने की मानसिकता पर एक सटीक व्यंग्य है। कई संवाद जहां दर्शकों को हंसाते हैं, वहीं कुछ संवाद सोचने पर मजबूर भी करते हैं।

निर्देशिका निहारिका साहनी ने सीमित संसाधनों और पूरी तरह नई स्टार कास्ट के साथ एक अलग तरह का कंटेंट पेश करने का जोखिम उठाया है, जो सराहनीय है। नई कास्ट के साथ फिल्म को कमर्शियल सफलता दिलाना आसान नहीं होता, लेकिन कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं में अच्छा प्रदर्शन दिया है।रीति-रिवाजों और मान्यताओं से जुड़े हास्य तत्वों को हॉरर टोन के साथ ठीक ढंग से पेश किया गया है। कुछ दृश्य डराते हैं, तो कुछ अच्छी हंसी भी दिलाते हैं—ठीक वैसे ही जैसे स्त्री सीरीज ने दर्शकों को पसंद आई थी।फिल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी है, मगर इंटरवल के बाद रफ्तार पकड़ती है और क्लाइमेक्स तक दर्शकों को जोड़े रखने में कामयाब रहती है।
• निर्देशन, लेखन व निर्माण: निहारिका साहनी
• म्यूजिक प्रोडक्शन: अंकित दीपक तिवारी
• मुख्य कलाकार: विट्ठल चड्ढा, आकाशदीप सिंह, अव्याना शर्मा

आत्माराम लाइव वह फिल्म है जो केवल मनोरंजन नहीं करती, बल्कि सोशल मीडिया की अंधी रेस, उसके प्रभाव और युवा पीढ़ी की मानसिकता पर एक गहरी टिप्पणी भी पेश करती है। नई टीम और सीमित बजट में बनाई गई यह फिल्म दर्शाती है कि कंटेंट दमदार हो तो बड़े नाम जरूरी नहीं।मेकर इसे भारत के साथ-साथ इंटरनेशनल रिलीज़ के लिए भी तैयार कर रहे हैं, जो इस अनोखे प्रयोग को और व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचाएगा। यह फिल्म कॉमेडी, हॉरर और सोशल मीडिया सटायर का ताज़ा मिश्रण है, जिसे एक बार ज़रूर देखा जा सकता है।

संपादक

डा. अशोक बड़थ्वाल

Mobile : 91-9811440461

editor@dhanustankar.com

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