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एक बार फिर मोदी नीतीश की जोड़ी ने दी तेजस्वी और राहुल की जुगलबंदी को दी पटकी । एक बार फिर नई पारी खेलने वाले हैं बिहार में नीतीश कुमार । तमाम अटकलों एवं का कवायदों के बावजूद भी कांग्रेस एवं आरजेडी की परफार्मेंस औसत स्तर से नीचे । हर बार की तरह इस बार भी ठीकरा फोड़ा जा रहा है ईवीएम पर । कहीं न कहीं इलेक्शन कमीशन पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं । जहाँ बीजेपी मुख्यालय एवं बिहार राज्य मुख्यालय एवं जिला स्तर के कार्यालयों में जश्न का माहौल है वहीं कांग्रेस, आरजेडी एवं उनके सहयोगी के चेहरे में छाई है मायूसी की हो रही है लीपा पोती की कोशिश ।



कहीं ना कहीं यह जीत का सेहरा बिहार के युवाओं के सिर पर भी जाता है जिन्होंने बिहार की जातिगत एवं लाठी की बिसात पर बिछी हुई राजनीति से हटकर विकास को चुना । कुछ हद नेताओं चुनाव प्रचार के दौरान शीर्षस्थ नेताओं के द्वारा की गई सार्वजनिक तौर पर की गई विवादास्पद बयानबाजी ने भी सियासी पासे पलट दिए । कारण जो भी हो मतदाताओं के इस बार के रुझान को देखकर लगता है कि बिहार की जानता को जातिगत मसले से उठकर विकास चाहती है । नो डाउट इस जीत में कुछ तो योगदान चिराग पासवान एवं उनकी पार्टी का भी बनता है ।


यदि चुनावी आंकड़ों पर गौर फरमाया जाए तो एनडीए को 202 सीटों पर विजय हासिल कर बहुमत मिला है । महा गठबंधन को 35 एवं अन्य को 6 सीटें मिली हैं ।यदि राजनीतिक दल अनुसार विश्लेषण किया जाए तो भाजपा को 90, जेडीयू को 84,एलजेपी को 19, एचएएम को 5 दूसरी तरफ़ आरजेडी को 25, कांग्रेस को 6, सीपीआई को 2,सीपीएम 1 एवं ओवेसी की पार्टी को 5 सीटें मिली हैं । बिहार के मतदाताओं ने फिर एक बार साबित कर दिया कि हथेली पर सरसों नहीं उगाई जा सकती। हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी तेजस्वी यादव का मात्र एक चुनावी जुमला था जो कि नामुमकिन था ।

भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय से अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिहार के लोगों ने विकसित बिहार के लिए मतदान किया है । आज की यह विजय एक नई यात्रा की शुरुवात है । बिहार ने जो उनपर भरोसा जताया है उससे उनके कंधों पर ज़िम्मेदारी और बढ़ा दी है । आने वाले 5 सालों में बिहार और तेज गति से आगे बढ़ेगा । बिहार की कायाकल्प होगी ।

एक तरफ जश्न का माहौल दूसरी तरफ कहीं न कहीं महा गठबंधन के लिए एक बार फिर जरूरी हो गया है आत्ममंथन...