नई दिल्ली 06, Dec 2025

लेख

1 - धर्मेंद्र हुए पंचतत्व में विलीन

2 - बिहार की जानता ने फिर एक बार साबित कर दिया कि हथेली में सरसों नहीं उगाया जा सकता

3 - जेट सिक्योरिटी के साथ विसर्जन के लिए निकला लाल बाग का राजा

4 - खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे

5 - एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिये योग

6 - ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा

7 - देश के लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए बाबा साहिब का अमूल्य योगदान

8 - दिल्ली सरकार के 100,000करोड़ से क्षेत्र में उन्नति की संभावनाओं को मिलेगी मजबूती

9 - दशक के बाद बिखरा झाड़ू 27 साल बाद खिला कमल फिर एक बार

10 - स्वर्णिम भारत,विरासत और इतिहास पर आधारित इस बार का गणतंत्र दिवस समारोह

11 - महाराष्ट्र में फिर एक बार लहराया बीजेपी का परचम

12 - तमाम कवायदों के बावजूद बीजेपी तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाने को अग्रसर

13 - श्रॉफ बिल्डिंग के सामने कुछ इस अंदाज से हुआ लाल बाग के राजा का स्वागत

14 - प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सदस्यता ग्रहण करने के साथ ही शुरू हुआ बीजेपी का सदस्यता अभियान

15 - देश के सीमांत इलाकों में तैनात सैनिकों में भी दिखा 78 वें स्वतंत्रता दिवस का जज्बा

16 - २०२४-२५ के बजट को लेकर सियासत विपक्ष आमने सामने

17 - एक बार फिर तीसरी पारी खेलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी

18 - केजरिवाल के जमानत पर रिहा होने पर शुरु हुई नई कवायदें

19 - मतदान की दर धीमी आखिर माजरा क्या

20 - क्यूं चलाना चाहते हैं केजरीवाल जेल से सरकार

21 - 2004-14 के मुकाबले 2014-23 में वामपंथी उग्रवाद-संबंधित हिंसा में 52 प्रतिशत और मृतकों की संख्या में 69 % कमी

22 - कर्तव्य पथ दिखी शौर्य की झलक

23 - फ़ाइनली राम लल्ला अपने आशियाने में हो गये हैं विराजमान

24 - राजस्थान का ऊँट किस छोर करवट लेगा

25 - एक बार फिर गणपति मय हुई माया नगरी मुंबई

26 - पत्रकारिता की आड़ में फर्जीवाड़े के खिलाफ एनयूजे(आई) छेड़ेगी राष्ट्रव्यापी मुहीम

27 - भ्रष्टाचार, तुस्टिकरण एवं परिवारवाद विकास के दुश्मन

28 - एक बार फिर शुरू हुई पश्चिम बंगाल में रक्त रंजित राजनीति

29 - नहीं होगा बीजेपी के लिऐ आसान कर्नाटक में कांग्रेस के चक्रव्यूह को भेद पाना

30 - रद्द करने के बाद भी नहीं खामोश कर पायेंगे मेरी जुबान

31 - उत्तर-पूर्वी राज्यों के अल्पसंख्यकों ने एक बार फिर बीजेपी पर जताया भरोसा

32 - 7 लाख तक की आमदनी टैक्स फ्री

33 - गुजरात में फिर एक बार लहराया बीजेपी का परचम

34 - बीजेपी आप में काँटे की टक्कर

35 - सीमित व्यवस्था के बावजूद धूम-धाम से हो रही है छट माइय्या की पूजा

36 - जहाँ आज भी पुजा जाता है रावण

37 - एक बार फिर माया नगरी हुई गणपतिमय

38 - एक बार फिर लहराया तिरंगा लाल किले की प्राचीर पर

39 - बलवाइयों एवं जिहादियों के प्रति पनपता सहनभूतिक रुख

40 - आजादी के अमृत महोत्सव की कड़ी के रूप में मनाया जा रहा है 8 वाँ विश्व योग दिवस

41 - अपने दिग्गज नेताओं को नहीं संभाल पाई कांग्रेस पार्टी

42 - ज्ञान व्यापी मस्जिद के वजु घर में शिवलिंग मिलने से विवाद गहराया

43 - आखिर क्यूँ मंजूर है इन्हे फिर से वही बंदिशें.....

44 - पाँच में से चार राज्यों में लहराया कमल का परचम

45 - पेट्रोलियम, फर्टिलाइजर एवं खाद्य सामाग्री पर मिलने वाली राहत में लगभग 27 फीसदी की कटौती

46 - जे&के पुलिस के सहायक उप निरीक्षक बाबूराम शर्मा मरणोपरांत अशोक चक्र से संमानित

47 - आखिर कौन होंगे सत्ता के इस महाभोज के सिकंदर

48 - ठेके आन फिटनेस सेंटर ऑफ छा गए केजरीवाल जी तुस्सी

49 - मुख्य सुरक्षा अधिकारी हुए पंचतत्वों विलीन

50 - दिल्ली में यमुना का पानी का बीओडी लेवेल 50 के पार

तीखे संवाद, खून-खराबा और अद्भुत अभिनय का मिश्रण धुरंधर

 
दिल्ली:निर्देशक आदित्य धर की महत्वाकांक्षी फिल्म धुरंधर न सिर्फ़ अपनी भारी-भरकम अवधि (3 घंटे 32 मिनट) बल्कि अपने विशाल कैनवास और राजनीतिक-पृष्ठभूमि वाले एक्शन–ड्रामा के कारण भी सुर्खियों में है।
रणवीर सिंह इस फिल्म में उस ऊर्जावान फॉर्म में दिखाई देते हैं, जिसकी दर्शक लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे थे। उनका चरित्र—जंगली, अनियंत्रित, खतरनाक और फिर भी संवेदनशील—फिल्म का धड़कता दिल है।
कहानी: इतिहास की आग में पका एक सिनेमाई थ्रिलर
फिल्म की कहानी 30 दिसंबर 1999 से शुरू होती है—वही समय जब भारत सरकार तीन ख़तरनाक आतंकियों की रिहाई पर अंतिम मुहर लगा चुकी थी, ताकि कंधार अपहरण के बंधकों को छुड़ाया जा सके। इसी माहौल में इंटेलिजेंस ब्यूरो अधिकारी अजय सान्याल (आर. माधवन) ‘प्रोजेक्ट धुरंधर’ की शुरुआत करते हैं, जिसकी छाया पूरे कथानक पर छाई रहती है।
यहीं से सामने आता है फिल्म का सबसे दिलचस्प किरदार—हमज़ा अली मज़ारी, जो असल में जसकीरत सिंह रंगीली है (रणवीर सिंह)। उसे पाकिस्तान के कराची में बसे ल्यारी गैंगस्टर सर्किट में घुसपैठ कर भारत-विरोधी गठजोड़ को भीतर से ध्वस्त करना है।
फिल्म में विस्तार से दिखाया गया है कि कैसे पाकिस्तान की राजनीति, गैंगस्टर वर्ल्ड और ISI का गठजोड़ मिलकर कराची को एक भयावह सत्ता-केन्द्र में बदल देता है। यह हिस्सा फिल्म को एक ठंडा, हिंसक और यथार्थवादी धार देता है।
अभिनय: रणवीर दमदार, अक्षय खन्ना करिश्माई
रणवीर सिंह पूरी फिल्म को अपने कंधों पर उठाए दिखाई देते हैं—हर फ्रेम में ऊर्जा और तीखापन साफ नज़र आता है।
• अक्षय खन्ना एक राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले गैंगस्टर के रूप में लाजवाब हैं।
• संजय दत्त, पाकिस्तानी सुपरकॉप से प्रेरित किरदार में, बेहद असरदार और खतरनाक दिखाई देते हैं।
• अर्जुन रामपाल, मेजर इकबाल के रोल में, सीमित स्क्रीन टाइम के बावजूद गहरा प्रभाव छोड़ते हैं।
• सारा अर्जुन यलीना के किरदार में ताज़गी लाती हैं।
• राकेश बेदी और गौरव गेरा अपने-अपने किरदारों में चौंकाते हैं।
हिंसा और मनोविज्ञान की टकराहट
कुछ दृश्य इतने कठोर और क्रूर हैं कि कमज़ोर दिल वाले दर्शक असहज हो सकते हैं। खासकर मेजर इकबाल का टॉर्चर सीक्वेंस फिल्म के सबसे डार्क और यादगार पलों में से एक है।
संगीत, तकनीक और ट्रीटमेंट
शाश्वत सचदेव का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को नई ऊंचाई देता है। पुराने पाकिस्तानी पॉप और ग़ज़ल—हवा हवा, चुपके चुपके, आफ़रीन आफ़रीन—को जिस चतुराई से कहानी में पिरोया गया है, वह फिल्म को सांस्कृतिक वास्तविकता से जोड़ता है।
एक्शन दृश्य भव्य हैं और कैमरा वर्क कराची के अंदरूनी हिस्सों को बेहद वास्तविक रूप में पेश करता है।
कमज़ोरियाँ
फिल्म का दूसरा भाग अपनी रूपरेखा से थोड़ा भटकता है और कई जगह ऐसा लगता है जैसे यह एक अलग फिल्म की ओर मुड़ गई है। साथ ही दूसरी किस्त—जो 19 मार्च 2026 को आएगी—के कई दृश्य पहले ही ट्रेलर में दिखाए जाने से रोमांच कुछ कम होता है।
निष्कर्ष: एक विशाल, हिंसक और रोमांचकारी सिनेमाई अनुभव
धुरंधर राजनीति, जासूसी, गैंगस्टरों की दुनिया और राष्ट्रीय सुरक्षा के टकराव को लेकर बनी एक बारीक और बड़े पैमाने की फिल्म है। यह न तो सिर्फ एक्शन पर निर्भर है और न ही सिर्फ भावनाओं पर—बल्कि दोनों के बीच एक तेज धार पर चलती है।
फिल्म अंत में कई सवाल छोड़ जाती है—
क्या दूसरा भाग कहानी को और अधिक ताकत देगा?
क्या रणवीर सिंह अगले अध्याय में भी इसी तीव्रता को बनाए रख पाएंगे?
इन सवालों के जवाब दर्शकों को अगले साल मिलेंगे।
कुल मिलाकर—धुरंधर एक दमदार, एंगेजिंग और थिएटर-फ्रेंडली फिल्म है, जिसे मिस नहीं करना चाहिए।

02:26 pm 06/12/2025

संपादक

डा. अशोक बड़थ्वाल

Mobile : 91-9811440461

editor@dhanustankar.com

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