लाल किले की प्राचीर से आजादी के इस महापर्व को 140 करोड़ संकल्पों का पर्व बताते हुए बोले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारत ने अब तय कर लिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे । हमारा देश कई दशकों से आतंक को झेलता आया है देश के सीने को छलनी कर दिया गया है । उन्होंने ने एक ही मंत्र बल दिया समृद्ध भारत, सशक्त एवं आत्मनिर्भर भारत ।
वह आजादी की 79 वीं वर्षगाँठ पर लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहण के लिए आये थे । प्रधान मंत्री ने अपने राष्ट्र के नाम उद्बोधन में ऑपरेशन सिन्दूर से लेकर वोकल से लोकल तक की चर्चा की । साथ ही गिनवाया अपने शासनकाल की उपलब्धियों को ।
राजधानी सहित देश के विभिन्न कोनों से आजादी की 79 वीं वर्षगांठ मनाए जाने के समाचार मिले हैं । सियासतदानों ने लालकिले पर तो आम नागरिकों ने टीवी पर और बारिश हल्की होने के बाद चैट पर पतंग उड़ाकर बनाया आजादी का जश्न ।
राजनीतिक दलों के मुख्यालय में भी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों द्वारा ध्वजारोहण के समाचार मिले हैं । सीमांत इलाकों में सेना एवं अर्ध सैनिक बल के जवानों ने भी जोश के साथ मनाया यह उत्सव । गली मोहल्लों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ ।
मानो पूरा देश तिरंगामय हो गया । और हो भी क्यूँ ना अंग्रेजों की 100 वर्ष की गुलामी के बाद यह आजादी यूँ ही नहीं मिली । ना जाने कितनों के बलिदान की कहानियाँ समाई हुई है । कई तो आज भी गुमनामी के अंधेरे में हैं । धनुष टंकार देशवासियों के इस जज्बे को सलाम करता है ।