UPA कार्यकाल में जिस महंगाई को ‘डायन’ कहते थे, आज उसे ‘डार्लिंग’ बना कर, गले में हाथ डाले घूम रहे हैं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के सार्वजनिक मंच से पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक ने साधा निशाना कहा कि सूरत-ए-हाल ये है कि आज लोगों के पास थाली है तो खाना नहीं, डिग्री है तो नौकरी नहीं, वाहन है तो पेट्रोल-डीज़ल नहीं, सिलेंडर है तो LPG गैस नहीं, शौचालय है तो पानी नहीं, जीवन है पर सुख नहीं चैन नहीं। और जले पर नमक रगड़ने के लिए मोदी जी इसे ‘अच्छे दिन’ और ‘अमृतकाल’ बताते हैं।
एक कांग्रेस का शासन था जब बटुए में पैसा ले कर जाते थे और थैला भर सामान ले कर आते थे और अब भाजपा के शासन में वो समय आ ही गया जब थैले में पैसा ले कर जाएँ और बटुए में सामान लाएँ। मुझे याद है कि मोदी जी ने कहा था चीन को लाल आँख दिखाएँगे और 250₹ किलो तक पहुँच कर टमाटर जनता को लाल आँख दिखा रहा था। 80-100₹ किलो प्याज जनता को खून के आँसू रुला रही थी।
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने तो प्याज की बढ़ती कीमतों से पल्ला झाड़ते हुए कह दिया था कि “मैं तो प्याज नहीं खाती” यानि प्याज महंगी हो तो जनता प्याज खाना छोड़ दें। इसी तर्ज़ पर पेट्रोल-डीज़ल सेन्चुरी लगाए तो तो बैलगाड़ी चलाने लगें। LPG सिलेंडर 1100/- का हो जाए तो चूल्हा फूंकने लगें। 2 करोड़ नौकरी जुमला साबित हो तो नाली की गैस से पकोड़ा तलने लगें। वैसे जानकारी के लिए बता दूं कि पकौड़े तलने का तेल भी 240₹ लीटर है। मोदी जी ने तो नौजवानों को इस लायक भी नहीं छोड़ा ! अभी मोदी जी मंगलसूत्र की बात कर रहे थे। जब सोना 75,000 रुपए तोला कर दिया है। मोदी जी ने तो कितनी माँ बहने सोने का मंगलसूत्र बनवा पा रही है। अब बताइए कौन किसका मंगल सूत्र छीन रहा है? देश में 35 सालों में सबसे ज्यादा महंगाई है। 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी है। 75 सालों में रुपए में सबसे ज्यादा गिरावट है। कांग्रेस के कार्यकाल में जिन स्मृति ईरानी को 400₹ का सिलेंडर महंगा लगता था, 70₹ लीटर पेट्रोल महंगा लगता था वो आज दिल्ली में मिलने वाले 1100₹ के सिलेंडर और पेट्रोल पर मुँह में दही जमा कर बैठी हैं।
दूध, दही, पनीर, छाछ जैसी खाने पीने की चीज़ों से लेकर रोजमर्रा की जरूरी चीज़ों पर भी इस सरकार ने जीएसटी लगा दी है। विडंबना देखिए, अस्पताल के बिस्तर पर 5 % जीएसटी है और हीरों पर 1.5 प्रतिशत। पिछले 7-8 वर्षों में मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के 16 लाख करोड़ रुपए के लोन माफ़ किए। कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए करीब 1.5 लाख करोड़ टैक्स की कटौती की गयी। और आम जनता से 27.5 लाख करोड़ रुपए इंधन टैक्स के रूप में वसूला गया।
साल भर में मोदी जी के मित्र उद्योगपतियों की आमदनी 30 लाख करोड़ तक बढ़ी है जबकि दूसरी तरफ़ देश के हर 10 में से 8 परिवारों की आय में कमी आई है। CSDS - लोकनीति ने दिल्ली में एक सर्वे करवाया तो पता चला कि दिल्ली के 84% गरीबों की आय उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। 75% गरीबों ने माना कि जरूरी खाद्य पदार्थों के, गैस के और बिजली के दाम बढ़े हैं। 10 में से 9 व्यक्तियों ने माना की पिछले 2 वर्षों में मह्गाई बहुत बढ़ी है। 10 में से 6 लोगों ने माना कि स्वास्थ्य तथा घर के किराए का खर्च बढ़ा है।