
दिल्ली: राजधानी जहां दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। एक तरफ दिल्ली के 40 एक्यूआई स्टेशनों में से 39 पर एक्यूआई 401 से अधिक रेड जोन में रहा और प्रदूषण नॉन स्टाप बढ़ रहा है, लेकिन दिल्ली में भाजपा की सरकार दिल्ली की सांसों को बचाने की बजाय प्रदूषण का तुलनात्मक आंकलन करके कह रही है कि 2024 की तुलना में अब तक कम प्रदूषित रहा 2025। भाजपा सरकार को लोगों के स्वास्थ्य की जगह अपने रिपोर्ट कार्ड की चिंता है,जबकि कल यानी के 14 दिसंबर साल का सबसे अधिक एक्यूआई दर्ज हुआ है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दुनिया भर में हवा की गुणवत्ता का आंकलन करने वाली वेबसाईटों पर दिल्ली का औसत एक्यूआई 615 रहा। जबकि कई इलाकां में एक्यूआई 600 से 1000 के बीच दर्ज किया गया। अंतराष्ट्रीय आंकलन अनुसार दीप विहार स्टेशन वन का एक्यूआई 985, मनसा राम पार्क में 840, किराड़ी एक्सटेंशन में 838, मुखर्जी नगर में 772, आनन्द पर्वत में 643 एक्यूआई दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली सरकार के हवा गुणवत्ता आंकलन स्टेशनों की बात करें तब भी दिल्ली का औसत एक्यूआई बेहद खतरनाक स्तर 461 पर है जबकि वजीराबाद में 500 एक्यूआई, मुंडका, रोहिणी, अशोक विहार में 499 एक्यूआई, विवेक विहार में 497, आनन्द विहार में 492, नेहरु विहार और दिलशाद गार्डन में 491 एक्यूआई भाजपा सरकार प्रदूषण नियंत्रण की नाकामियों को उजागर करते है।
राजधानी के गंभीर प्रदूषण स्तर के कारण जहां खुले में सांस लेना मुश्किल हो गया है, आंखों में जलन, गले में खराश, सांस फूलने, फेंफड़ों से संबधित अस्थमा, खांसी, टीबी और फेंफड़ों में कैंसर, हृदयघात का खतरा, लीवर की परेशानी, सर दर्द, तनाव, स्कीन एलर्जी, पेट की आंतों सूजन और मानसिकता दवाब की शिकायते तक दर्ज होने का दावा अस्पतालां में डाक्टर और प्रदूषण विशेषज्ञ तक कर रहे है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोगों से झूठे वादे करके सत्ता में आने के बाद अब संकट के समय अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। सरकार दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी हथियारों का इस्तेमाल कर चुकी है और हर दिन नई घोषणा करके सिर्फ दिल्ली वालों को प्रदूषण से बचाने की जगह उन्हें भ्रमित करने का काम कर रही है।