परमाणु एवं केमिकल वार से कहीं ज्यादा खतरनाक है साइबर वार । हेकिंग के माध्यम से नेटवर्क में अवरोध पैदा कर ध्वस्त हो सकती है किसी भी देश का बुनियादी ढ़ाँचा एवं अर्थव्यवस्था । यहाँ तक की ध्वस्त किये जा सकते हैं सैन्य ठिकाने । कुल मिलाकर हेकिंग के जरिये किसी भी व्यवस्था के ढ़ाँचे को हिलाना ।
भारत ने भी सुरक्षा के मध्यनजर लगाया 59 से भी अधिक मोबाइल एप्लिकेशनस पर बेन । जिन्में ज्यादातर एप्लिकेशन चीन द्वारा निर्मित हैं और इनका नियंत्रण चीन में हैं । इनमें टिक-टोक,हेलो एवं वीचेट जैसी सामाजिक मीडिया प्लेटफार्म एप्लिकेशन भी शामिल हैं जिनके माध्यम से निजी डेटा इधर से उधर होने की संभावना बनी रहती है ।
हाल ही में फोरन कोरस्पोंडेंट क्लब साउथ एशिया द्वारा आयोजित आनलाइन परिचर्चा में एमपी के एडिजी एवं अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम विशेषज्ञ श्री वरूण कपूर की प्रेजेंटेशन के अनुसार साइबर वल्ड की दुनिया में जहाँ 7 बिलियन मोबाइल उपभोगता,2 बिलियन फेसबुक यूजर्स ,1 मिलियन आनलाइन बायर्स हैं एवं 144 बिलियन मेल्स का आदान-प्रदान प्रतिवर्ष होता है , बचाव का एक ही मार्ग उचित जानकारी एवं सही निर्णय ।
गुगल को जानकारी के लिये इस्तेमाल करने वालों का आंकड़ा 2 बिलियन सालाना है । साइबर सिक्युरिटी वेंचरस के हवाले से साइबर वार से होने वाले नुकसान का आंकलन 2021 तक 6 त्रिलियन यूएस डालर प्रतिवर्ष अनुमानित है । 2015 में यह नुकसान 3 त्रिलियन डालर था ।
साइबर क्राइम के माध्यम और शिकार बनते हैं नेटवर्क सब्सक्राइबर्स एवं यूजर्स । उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आन लाइन एप्लिकेशनस । जिन्में मोबाइल एप्लिकेशन भी शामिल हैं । 2022 तक दुनिया भर में नेटवर्क यूजर्स का आंकड़ा 6 विलियन पार कर जायेगा जो कि उस समय की जनसंख्या का 75 प्रतिशत होगा । 2017 में यह आंकड़ा 3.8 बिलियन था । याने की उस समय की जनसंख्या का 50 प्रतिशत ।
भारत भी इस वक्त साइबर वार के दौर से गुजर रहा है । भारत में नेटवर्क यूजर्स की संख्या 560 मिलियन है और 2023 में यह आंकड़ा 650 मिलियन पार कर जायेगा । भारत नेटवर्क इस्तेमाल करने वाला चीन के बाद दूसरे नंबर का सबसे बड़ा देश है ।
अब गौर फरमाते हैं भारत में साइबर क्राइम से होने वाले नुकसान पर । स्टेटिस्टा के हवाले से 2017 में साइबर क्राइम के जरिये से भारतीय उपभोकताओं को हुए नुकसान का आंकलन 18 बिलियन यूएस डालर था । भारत ही नहीं अमेरिका जैसे संपन्न विश्व के अनेक देश हैं साइबर अटेक से प्रभावित ।
भारत में भी नीति आयोग के नेतृत्व में साइबर संस्थानों के माध्यम से सुरक्षा के मध्य-नजर नीति निर्धारण का सिलसिला जारी है ......