अनुसूचित जाति के लोगों को समर्पित हैं । विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संगठन महामंत्री विनायक राव देशपांडे के अनुसार प्राचीन काल में भारत में जातीय भेदभाव नहीं था एवं परिषद भी अपने द्वारा चलाये गये कार्यक्रम के माध्यम से इस बाबत जागरूकता फैलाने के लिये कृत संकल्प है । वह विश्व हिंदू परिषद के दिल्ली प्रांत द्वारा मकर संक्रांति पर आयोजित सामाजिक समरसता कार्यक्रम में उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे I
केंद्रीय संगठन महामंत्री ने कई अहम खुलासे भी किए उन्होंने बताया की अंग्रेजो ने कास्ट नोटिफिकेशन बनाकर 429 जातियों को उसमें शामिल किया। इसके अलावा उन्होंने बताया की प्राचीन काल में भारत में नारियों का बहुत सम्मान था। कई विद्वान नारियों के नाम हमको हमारे धर्म ग्रंथों में मिलते है। इस्लामिक शासकों ने जब 12 वी सदी में भारत पर आक्रमण किया तो उन्होंने लाखों की संख्या में हिंदुओ को मुसलमान बनाया था और जिन लोगों ने मुस्लिम धर्म स्वीकार नहीं किया उनको गुलाम बनाया और घर की साफ सफाई और उनसे मैला उठवाने का कर करवाया ।
परम पूज्य श्री माँ साध्वी विभानंद गिरी जी ( प्रज्ञा पीठाधीश्वर, आवाहन अखाडा ) ने युवाओं को रीढ़ बताते हुये विकास के लिये सामाजिक समरसता पर बल दिया I उनका मानना है कि भगवान ने बनाने समय दो ही प्राणियों की रचना की नर और नारी । जिस प्रकार सूर्य अपना प्रकाश सभी को समान रूप से देता हैउसी प्रकार हमें भी सबको एक साथ लेकर चलना होगा । भगवान राम का हवाला देते हुये उन्होने बताया कि भगवान राम ने भी अपने जीवन में सामाजिक समरसता का पालन किया । वन वास के दौरान वह वनवासियों के साथ रहें। वानरों से मित्रता की। हमें भी श्री राम के रास्ते पर चलना होगा और सब हिंदुओ को जोड़कर चलना होगा। नहीं तो विकास से बहुत दूर हो जाएंगे।