देश भर में मनाया जा रहा है कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से । माया नगरी मुंबई भी नहीं है कृष्ण लीलाओं से अछूती । यहाँ यह त्यौहार मनाया जाता है दही हांडी के रूप में । उँचाई पर एक हांडी टाँग दी जाती है ।
युवाओं की टोलियाँ ढोल नगाड़ों की तर्ज पर अपना भाग्य अजमाती हंै । मटकी फोड़ने वाली टीम को आयोजक एक निर्धारित धन-राशी इनाम स्वरूप देते हैं । मटकी फूटने तक यह सिल-सिला चलता रहता है ।
राजधानी दिल्ली के अपने अलग अंदाज है । जगह-जगह लाइटिंग, मंदिरों में सजावट और गली-कूचों में घरों के आगे बच्चों द्वारा सजाई गई भगवान श्री कृष्ण की झांकियाँ । रात को मंदिर के प्रांगण में और खुले अहातों में खेली जाती है रास-लीला ।
मथुरा और वृंदावन में भी जन्माष्ठमी का त्यौहार मनाया जा रहा है बड़ी धूम-धाम से । बाँके बिहारी मंदिर में देश-विदेश से आये दर्शनार्थियों की लंबी कतारें । ऐतिहासिक रूप से दोनो ही नगरियों का अपना अलग महत्व है एक भगवान श्री कृष्ण की जन्म-स्थली तो दूसरी में भगवान की बाल क्रीड़ायें होती थी ।
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं के साथ पेश है गो....गो....गोविंदा.......